आँखें
विषय – नयन / आँखें
विधा – गीत !
वृहद स्वप्न ले उड़ती पाँखे !
देखी है मैंने वे आँखें !!
संमोहन जादू से लज्जित !
निखरे नित नीरज हो विकसित !
अनुराग भरी नेह पल्लवित !
डूबा जग मधुप भीर अतुलित !
काजल रेख रसायन चाखे !
देखी है मैंने वे आँखें !!
इनमें न रंज का चिन्ह शेष !
हर्ष लिप्त चंचल सलिल लेश!
प्रवर नेह चित चाहे प्रवेश !
सौरभ का नव मधुर संदेश !
नैन नशीली भीगी पाँखे !
देखी है मैंने वे आँखें !!
नही अनजान सबकुछ जाना !
मनहर चितवन को पहचाना !
पावन कोमल पंकज माना !
देह त्याग चेतन लय पाना !
सोच जरा मन टूटी पाँखे
देखी है मैंने वे आँखें !!
डाँ छगन लाल गर्ग विज्ञ!