अहसास
तुम्हें……..
न अहसास होगा
न जाहिर होगा
जो होगा
अनुभूति के पार होगा
तुम्हें……..
न दरखास्त देनी
न गुहार लगानी
जितनी ……
तुम्हें जरुरत
जैसी …….
तुम्हारी बिसात
चुपके से रख देगा
तुम्हारी…….
सामर्थ्य की जेब में
खुशियों की चवन्नी
संगीता बैनीवाल