अहंकार की गंध
रूठों को भी ख्वाब मे,ले आती है पास !
साथी निद्रा सा नही, हुआ दूसरा खास !!
मर्यादा गायब हुई , हुए क्षीण सम्बन्ध !
रिश्तों से आने लगी,अहंकार की गंध !!
रमेश शर्मा
रूठों को भी ख्वाब मे,ले आती है पास !
साथी निद्रा सा नही, हुआ दूसरा खास !!
मर्यादा गायब हुई , हुए क्षीण सम्बन्ध !
रिश्तों से आने लगी,अहंकार की गंध !!
रमेश शर्मा