अहंकार का बीज, आज वृक्ष बन गया।
अहंकार का बीज, आज वृक्ष बन गया।
बुराइयां नहीं दिखती, ऐसा कवच वन गया।
भेदने से कष्ट होता सांवरे, खुद की आभा को।
हंसी के पात्र हो गए हम, ऐसा दृष्य बन गया।
अहंकार का बीज, आज वृक्ष बन गया।
बुराइयां नहीं दिखती, ऐसा कवच वन गया।
भेदने से कष्ट होता सांवरे, खुद की आभा को।
हंसी के पात्र हो गए हम, ऐसा दृष्य बन गया।