अस्वस्थता प्रमाण पत्र
एक काय चिकित्सक (Physician ) को जिंदगी में कभी-कभार लोगों की बीमारी से भी इतर प्रमाण पत्र देने पढ़ते हैं । एक बार एक पति पत्नी के जोड़े ने सरकारी अनाथालय से बच्चा गोद अपनाने के लिए जिलाधिकारी के कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया । उनके प्रार्थना पत्र पर विचार करते हुए जिलाधिकारी ने उनसे स्वास्थ्य विभाग से इस संबंध में कि वे अब कोई बच्चा पैदा नहीं कर सकते एक चिकित्सा प्रमाण पत्र लाने के लिए कहा । अब अगर यही प्रश्न अलग अलग अकेले स्त्री या पुरुष के लिए पूछा जाता तो उत्तर देना आसान था , पर संयुक्त रूप से इस प्रश्न में उनके बीच बच्चा पैदा होने की अनेक प्रकार की अपार संभावनाएं हो सकती थीं । किसी तरह उनकी उम्र स्वास्थ्य आदि का परीक्षण कर के जनाने और मर्दाने अस्पताल के विशेषज्ञों के परीक्षण एवं और कुछ अन्य जांचों के आधार पर उन्हें मन वांछित अस्वस्थता का प्रमाण पत्र जारी किया जा सका ।
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कभी-कभी दो महिलाएं किसी युवा कन्या को सामने लाकर बिठा देती हैं कि डॉक्टर साहब इसे ठीक से देख लो । जबकि मेरे पूछने जाने पर उसे कोई तकलीफ नहीं होती है । मैंने उनसे कहा कि जब इसे कोई तकलीफ नहीं है तो फिर आप इसे मेरे पास क्यों लाए हैं ? इस पर वे लोग अपना अपना परिचय देकर कहती हैं कि डॉक्टर साहब मैं इसकी मां हूं और यह इसकी होने वाली सास है । हम दोनों इस बात के लिए इसे यहां लाए हैं कि आप देखकर बताएं कि इसे कोई बीमारी तो नहीं है और यह स्वस्थ है ।
विधिक एवं विज्ञान की दृष्टि से तो उनका यह कार्य मुझे तर्क संगत लगता है पर व्यवहारिक नहीं । यह कुछ उसी प्रकार का है कि जब पुलिस किसी अपराधी को पकड़ती है तो वह उसे जेल भेजने से पहले उसका स्वास्थ्य का परीक्षण करवाती है ।
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कभी-कभी ऐसे गबरु जवान स्वस्थ लड़के भी दिखाने आ जाते हैं , जैसे कि इस बार यह लड़का जिसने पहले मेरी तारीफ करते हुए कहा कि डॉक्टर साहब आपका बढ़ा नाम सुना है मैं बड़ी उम्मीद लेकर आपके पास आया हूं । कुछ दिनों में ही मेरी शादी होने वाली है और मुझे कमज़ोरी है ।
उस समय (अपने मन में घुमड़ते हुए इस प्रश्न को दबाते हुए कि साले जब अभी तेरी शादी ही नहीं हुई तो तुझे अपनी इस कमज़ोरी का पता कैसे चला ? ) पर मैंने अनजान बनते हुए उससे पूंछा
तुम्हें कब से यह कमजोरी है , और तुम्हें इसका पता कैसे पता चला ?
तो उसने बताया कि कुछ दिनों पहले जब उसका विवाह तय हुआ तो उसके गांव की कुछ भाभियों ने उससे कहा कि तुम शादी के लिए फिट हो कि नहीं पहले हमसे अपना परीक्षण करवा लो और परीक्षण के उपरांत एक के बाद एक उन्होंने मुझे फेल कर दिया । तब से मैं बहुत उदास हूं ।
मैं उससे अपने इस प्रश्न की गहराई में और अधिक नहीं जाना चाहता था । मैंने मन ही मन उससे कहना चाहा कि हरामी , साले हमीं मिले थे तुम्हें इस इलाज के लिए ? मैंने सोचा यह इलाज लेगा मुझसे और फिटनेस लेगा गांव की भाभियों से !
पर उसकी परामर्श फीस मेरे पास जमा हो चुकी थी जो अब मैं उसे लौटाना नहीं चाहता था । जिस गांव से वह आया था वहां की पृष्ठभूमि से मैं पहले से परिचित था अतः मैंने उसे डराते हुए समझाया कि एक तो तुम्हारे इलाके में वैसे ही एच आई वी और एच सी वी पॉज़िटिव मरीजों की भरमार है उस पर तुम अपने को ऐसे परीक्षणों के लिए मत प्रस्तुत करो , ऐसे परीक्षणों में तुम्हारी जान को खतरा है । फिर मैं इस शर्त पर उसका इलाज करने को तैयार हो गया कि वह अब वह इलाज से हुए फायदे के परीक्षण के लिए अन्यत्र नहीं जाएगा और यदि इलाज के बाद भी विवाह के उपरांत उसे कमज़ोरी लगी तो पत्नी के साथ मुझसे मिलेगा । उससे यह आश्वासन लेकर तथा उसे आश्वस्त कर सान्तवना देते हुए मैंने उसे विदा किया । मुझे बकौल सूरमा भूपाली शब्द याद आ गये
‘ न जाने कहां कहां कहां से आ जाते हैं । ‘