Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Oct 2021 · 2 min read

असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया

जन्म लेते पूत के उछाह से भरेला हिय,
गज भर होइ जाला फूलि के ई छतिया।
पाल-पोस के बड़ा करेला लोग पूत के आ,
नीमने से नीमने धरावे इसकुलिया।
होखते बियाह माई-बाप के बिसार देला,
तबो माई-बाप दें आषीश दिन-रतिया।
त्याग दिन-रात कइलो प नाहीं सुख मिले,
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया।।१।।

तनिको बीमारी होखे बेटा चाहें बेटी के तऽ,
छोड़े नाहीं माई-बाप एको डाकटरिया।
कवनो उधम क के रुपिया लगावे लोग,
देखे नाहीं रात बा कि जेठ दुपहरिया।
उहे माई-बाप जब खाँस देला सुतला में,
चार बात कहे रोज बेटवा, पतोहिया।
तनिको शरम नाहीं बाटे आज अँखिया में,
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया।।२।।

बा जेके संतान कई उहो परेशान इहाँ,
झगरा आ मार रोज छीन लेला निंदिया।
केनहो से बोले बाप मिले अपमान बस,
नेकी सब जिनिगी के मिल जाला मटिया।
अपने कुटुंब बाण मार देला छतिया पऽ,
कष्ट भोगे बूढ़ लोग भीष्म जी के तरिया।
कटेला अकेले रात खेत खरिहान बीच,
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया।।३।।

घर-परिवार बदे कर्म लगातार करे,
देखे नाहीं घाम-शीत बहरी भीतरिया।
उहे जब देहि से बा तनी कमजोर होत,
फेर लेत बाटे लोग कइसे नजरिया।
वृद्ध आसरम बा खुलल चहुँओर आज,
उहँवें भेजात कुछ घर के पुरनिया।
बूढ़ माई-बाप आज फालतू सामान लगें,
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया।।४।।

खबर छपल रहे एक अखबार में कि,
बेटा आ पतोहि करें बाहर नोकरिया।
बाप-महतारी के बा लाश घर में परल,
देखल समाज जब खोलल केवड़िया।
काहें पद पावते ऊ माई बाप छुटि जात,
जेकरे करम से बा चमकल भगिया।
मरतो समय नाहीं केहू आस-पास रहे,
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया।।५।।

अँगुरी धराई के सिखावे माई-बाप जे के,
उहे बड़ होखे तऽ सुनेला नाहीं बतिया।
सगरी बला से जे बचावे उजवास क के,
ओकरे धोवात नाहीं चादर आ तकिया।
घर परिवार बदे रोशनी बनल रहे,
उहे आजु सिसिकेला कोठरी अन्हरिया।
कई गो बीमारी ले के दिनवा गिनत रहे,
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया।।६।।

गतरे गतर देहि बथेला कपार पीठ,
हो के मजबूर लोग धइ लेला खटिया।
उम्र बढ़ि जाला जब हद से मनुज के तऽ,
साँच बाति हवे मंद पड़ि जाला मतिया।
अट पट बाति जब निकलेला मुँह से तऽ,
लइका के छोड़ऽ तब डाटि देला नतिया।
मनवा मसोसि मने-मन दुख सहि जात,
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया।।७।।

जेकरा गुमान बाटे अपना जवनिया पऽ,
एक दिन ढल जाई ओकरो उमिरिया।
मान आज नाहीं देत बाटे जे पुरनिया के,
मान नाहीं पाई उहो झुकते कमरिया।
बहुते जरूरी बाटे नीक परिवार होखो,
एक दूसरा से रहे गहिर सनेहिया।
बाकिर समाज जब देखीले तऽ प्रश्न उठे,
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया।।८।।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 16/10/2021

1 Like · 1 Comment · 779 Views

You may also like these posts

Ultimately the end makes the endless world ....endless till
Ultimately the end makes the endless world ....endless till
सिद्धार्थ गोरखपुरी
वक्त (प्रेरणादायक कविता):- सलमान सूर्य
वक्त (प्रेरणादायक कविता):- सलमान सूर्य
Salman Surya
Student love
Student love
Ankita Patel
23/202. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/202. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
तारीफ....... तुम्हारी
तारीफ....... तुम्हारी
Neeraj Agarwal
पुलिस की चाल
पुलिस की चाल
नेताम आर सी
हरजाई
हरजाई
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
लगा समंदर में डुबकी मनोयोग से
लगा समंदर में डुबकी मनोयोग से
Anamika Tiwari 'annpurna '
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
इशरत हिदायत ख़ान
ज़मीन से जुड़े कलाकार
ज़मीन से जुड़े कलाकार
Chitra Bisht
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मुक्तक... हंसगति छन्द
मुक्तक... हंसगति छन्द
डॉ.सीमा अग्रवाल
सांत्वना
सांत्वना
भरत कुमार सोलंकी
नारी तेरे रूप अनेक
नारी तेरे रूप अनेक
विजय कुमार अग्रवाल
दिल दीवाना हो जाए (भाग-१)
दिल दीवाना हो जाए (भाग-१)
Dushyant Kumar Patel
हमारा देश
हमारा देश
SHAMA PARVEEN
- अपने पराए हो जाते -
- अपने पराए हो जाते -
bharat gehlot
*फागुन*
*फागुन*
Rambali Mishra
मेरा प्रेम पत्र
मेरा प्रेम पत्र
डी. के. निवातिया
प्रतिभा का कितना अपमान
प्रतिभा का कितना अपमान
Acharya Shilak Ram
कलम ही नहीं हूं मैं
कलम ही नहीं हूं मैं
अनिल कुमार निश्छल
एक व्यथा
एक व्यथा
Shweta Soni
एकाकार
एकाकार
Shashi Mahajan
शरीर जल गया, मिट्टी में मिल गया
शरीर जल गया, मिट्टी में मिल गया
Sonam Puneet Dubey
*सबसे ज्यादा घाटा उनका, स्वास्थ्य जिन्होंने खोया (गीत)*
*सबसे ज्यादा घाटा उनका, स्वास्थ्य जिन्होंने खोया (गीत)*
Ravi Prakash
तन्हाई चुराने में पूरी ज़िंदगी निकाल दी गई,
तन्हाई चुराने में पूरी ज़िंदगी निकाल दी गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
..
..
*प्रणय*
आत्म विश्लेषण
आत्म विश्लेषण
Bindesh kumar jha
ख़्वाब तेरा, तेरा ख़्याल लिए,
ख़्वाब तेरा, तेरा ख़्याल लिए,
Dr fauzia Naseem shad
Loading...