असली घोटालों वाली (घनाक्षरी)
असली घोटालों वाली (घनाक्षरी)
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बड़े-बड़े लोगों को दिलाने हेतु कर्ज ढेर
कई-कई बैंकों ने बनाई एक टोली है
गिरवीं न रखा माल अरबों दे दिए यूँ ही
हो रही कि जैसे देश -धन की ठिठोली है
माँगने न गए धन वापस कभी भी दौड़
जैसे खाई इन्होंने भाँग ही की गोली है
रँग से न खेली चूना लगा कर खेली गई
असली घोटालों वाली हुई यह होली है
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7 61 54 51