असमय चले जाना :-
उसका असमय दुनिया से यूं चले जाना,
दु:खों के सागर में गोते लगाकर अचानक यूं डूब जाना।
लगता है जैसे कल ही की बात थी उसका इस बेसिक में आना।
धीरे – धीरे से सब के दिलों में जगह बनाकर इस तरह दिल में बस जाना।
ऐसा लगता है जैसे कि इंसानियत की लौ जलाने ही वह हमारे बीच आया था।
वक़्त कम था उस फरिश्ते के पास पढ़ाने एकता की किताब लाया था।
बेहिसाब सज्जनता की तो दाद देनी पड़ेगी, सौम्य मृदु व्यवहार से सीख लेनी पड़ेगी।
पर मुझे शिकायत उस दुनिया बनाने वाले से है,
कि उसे इतना सरल क्यो बनाया और बना ही दिया था भूलवश ,
तो क्यो इस तरह अनायास ही क्यों इतना दर्द देकर मिटाया।
इस तरह तो हम भोले इंसानों का तुझ पर से भरोसा उठ जायेगा
।जब तेरे दरबार में एक भोला व्यक्ति इस तरह से कसा जायेगा।
तो रेखा देखते ही देखते अच्छा इंसान बुरे कर्म करने लग जायेगा।
वो तो चला गया अपने सत्कर्मों को साथ लेकर,
परिवार और प्रिय जनो को अश्रुओं की बरसात देकर।
सिर्फ यादे छोड़कर हम सब के बीच से चुपचाप वों वैतरणी पार गया।
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि हम सभी की मार्ग प्रशस्त हो वह जिस राह गया।
एक जगमगाते दीपक का यूं भड़ भड़ा कर बुझ जाना।