— @ अश्लीलता @ —
आज आये दिन , अखबार की सुर्खिओं में ऐसी खबरे आ रही हैं, कि मायूस सी बच्चिओं के साथ , कभी कोई मंदिर का पुजारी, कभी कोई मौलवी या कोई भी आस पड़ोस का पडोसी अश्लीलता की सारे हदे पार करते हुए, मासूम बच्चे के साथ बलात्कार की घटना को बेखौफ्फ़ अंजाम दे रहा है ! क्या यह उचित है ? क्यूं किसी की जिन्दगी के साथ ऐसा किया जा रहा है ? क्या इन जैसे घटिया लोगों को किसी कानून का डर, भय नही है ?हाँ शायद इस लिए भी भय नही है, कि कानून खुद ही अँधा हो चुका है, एकांत को देखकर, किस लिए इनकी यौवन शक्ति उछलने लगती है ! क्या इनकी जो बीवी है, वो इन नालायकों की हवस भरी भूख को शांत नही कर पाती ? क्या ऐसे गंदे लोगों के घर के बड़ों ने ऐसे ही संस्कार दिए थे ? क्या उनके घर से ही ऐसी परंपरा चलती आ रही है ? या तो यह नीच हैं, या इनकी मानसिकता निचले खानदान से ही पैदा हुई है, इन्होने तो जानवर से भी ज्यादा घिनौना काम कर दिया है !
एक बात कई बार जेहन में आ जाती है, कि क्या इनको कभी अपने परिवार में मासूम बच्चे नजर नही आये, यह हरकत बाहर के लोगों के बच्चों के साथ क्यूं घटित हो रही है ? क्या अपनी बहिन नजर नही आई , क्या अपनी माँ नजर नही आई, या अपनी रिश्तेदारी में कोई औरत नजर नही आयी , इनको बाहर के लोगों पर ही नजर क्यूं गयी, गिद्ध की तरह, जिस को हमेशां धरती पर मांस पर ही नजर रहती है ! अगर बलात्कार का इतना बड़ा शौंक पाल रखा है, तो किस लिए धार्मिक स्थलों का नाश कर रहे हो, जाकर किसी रंडी के कोठे पर क्यूं नही मुंह मारते. ? क्यूं बने हुए हो पुजारी और मौलवी ?? किस लिए किसी दुसरे की संतान की जिन्दगी तबाह कर रहे हो, किस ने दिया तुम जैसे नीच लोगों को यह अधिकार ??कि जब तुम्हारा दिल करे, तुम किसी की भी इज्जत के साथ खेल डालो !
तुम जैसे गंदे लोगों की वजह से ही समाज के लोग कन्या को जन्म देने से डरते हैं, तुम जैसे लोगों की वजह से बेटियों को गर्भ में मार दिया जाता है, तुम जैसे लोगों की वजह से ही आज लड़कियां अकेले जाने से डरती हैं, कब तक वो तुम जैसे लोगों का सामना करेंगी ? कब तक उनको यह सब सेहन करना होगा ? कब छूटेगा तुम जैसे गंदे लोगों से उन सब का पीछा ? कब तक उनको आजाद भारत में खुले में सांस लेने के लिए इन्तेजार करना होगा ?
आज भारत ने ओलम्पिक खेलों में बेटिओं ने जो अपनी अहम् भूमिका निभाई है, उस पर सारे देश को नाज है, उस के बावजूद भी वंदना कटारिया के घर पर तुम जैसे नीचों ने उनके परिवार को तुच्छ शब्द केह डाले, क्या सीखा दुनिया ने उन से, जिस ने अपना जी जान देश के लिए पदक लाने में लगा दिया, कुछ सीखो मीराबाई चानू से, जिस ने दुनिया को दिखा दिया, कि मेरे बुरे वक्त में जिन ट्रक ड्राईवर भाईयों ने उस की मदद की, उन सब को उस ने अपने हाथों से सम्मानित किया ! बहुत नाज होता है, यह सब देखकर, पढ़कर, सुनकर , कि बेटी का पैदा होना दूर दूर तक के समाज को सकून दे जाता है, उप्पर वाला भी सोच समझ कर इनको पैदा करता है, न कि तुम जैसे नीचों के लिए मॉस का सामान !
शर्म से डूब मरो, और हो सके तो खुद आत्महत्या कर लो, अगर तुम जैसे बलात्कारी ऐसे ही करते रहेंगे , तो यह निश्चय तय है, कि भगवान् भी एक दिन धरती पर शायद बेटिओं को जन्म देते से घबराने लगे, कि जब धरती पर ऐसे ऐसे दरिन्दे पैदा हो चुके हेई, तो कैसे सुरक्षित रहेंगी कन्या ? ऐसा भी समय देखने को मिलेगा आने वाले समय में जब लोग कन्या को गली गली खोजने नजर आयेंगे, और जिन घरों में कन्या होंगी, वो अपनी कन्या को किसी के घर भी भेजने से घबराएंगे >
बहुत गंभीर विषय है,दुःख होता है, जब ऐसे लोग, किसी मासूम की अस्मत को छिन भिन्न करते हैं, और अंत में कानून के शिकंजे में आ भी जाते हैं, पर उस के बावजूद भी क्या होता है, जग जाहिर है ..बहुत दुखद है यह सब ..बहुत दुखद…कब होंगी बेटियाँ सुरक्षित…इश्वर ही जान सकता है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ