Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2018 · 2 min read

अश्रुनाद मुक्तक संग्रह चतुर्थ सर्ग

…… अश्रुनाद मुक्तक संग्रह ……
……..चतुर्थ सर्ग …….
………. नीरद ……….

घनघोर घटा घिर आये
पपिहा – मन पिउ – पिउ गाये
दादुर की करुण पुकारें
फिर स्निग्ध चाँदनी छाये

सावन बदली घिर आती
तब विरह – रागिनी गाती
उर में चपला नयनों में
वर्षा निर्झर हो जाती

अगणित पोथी पढ़ डाली
सर्वोच्च शिखर-विद पा ली
बरसो माँ ! विश्व सदन में
अन्तर सुज्ञान – घट खाली

वसुधा लहलहा हिलोरे
प्रमुदित हिय पुलक बिलोरे
हिम- वृष्टि विनिष्टित जीवन
जल झंझा प्रबल झकोरे

सावनी घटा घिर आये
द्रुतगति दामिनि दहलाये
फिर विरह रागिनी स्वर को
सुन अश्रुनाद गहराये

सावन बदली जब आती
तब विकल रागिनी गाती
तन में चपला चित चञ्चल
नयनों को आ बरसाती

लघु बूँदों को बरसाती
जीवन में बदली आती
रस बूँद एक से किञ्चित
हिय- प्यास तृप्ति पा जाती

स्वाती बूँदों को ऐसे
हो सीप तरसती जैसे
मेरे मरुथल जीवन में
रस बूँद बरसती कैसे ?

घन-श्याम सघन घिर आये
तन – मन उमंग भर जाये
उत्तुंग शिखर तक चपला
नभ छूने को ललचाये

जीवन सतरंगी घेरे
भव – पथ पर सघन अँधेरे
तुम मञ्जु- मूर्ति बन जाओ
चिर – मन – मन्दिर के मेरे

मैं मृदुल – हृदय अभिलाषी
हूँ मलिन नगर का वासी
बोझिल दुर्दिन जीवन पर
छाई किञ्चित न उदासी

जीवन सम्बन्ध बनाये
मद लोभ मोह भटकाये
इतना तो सजग रहें ही
आशीष नमन मिल जाये

क्रमशः अभिनव जग होली
खोली अतीत ने झोली
जीवन की मधुरिम सुधियाँ
रंगित नव रंग – रँगोली

जनरव ने भर – भर प्याली
सञ्चित जल – राशि चुरा ली
अतिशय उपभोग किया अब
जीवन का पनघट खाली

आभासी जगत हमारा
परिवार नवल अभिसारा
मिलते नित विश्व सदन में
प्रिय “मुख पुस्तक” के द्वारा

नीलाम्बर में लहराऊँ
नभ – यायावर कहलाऊँ
निज विपुल रूप धर पल में
मानव – मन को बहलाऊँ

नभ में बदली घिर आये
लघु बूँदों को बरसाये
किञ्चित जीवन-पनघट पर
रस बूँद बरसती जाये

जब श्याम घटा घिर आये
प्रमुदित मन रुनझुन गाये
जीवन रँग-रञ्जित सुधियाँ
रिमझिम फुहार बन छाये

—-##—

Language: Hindi
551 Views

You may also like these posts

पिता का गीत
पिता का गीत
Suryakant Dwivedi
अमृता
अमृता
Rambali Mishra
सफलता का मुकाम
सफलता का मुकाम
Avani Yadav
गर्मियों में किस तरह से, ढल‌ रही है जिंदगी।
गर्मियों में किस तरह से, ढल‌ रही है जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
अ
*प्रणय*
मेघाें को भी प्रतीक्षा रहती है सावन की।
मेघाें को भी प्रतीक्षा रहती है सावन की।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
" इकरार "
Dr. Kishan tandon kranti
*जन्मभूमि है रामलला की, त्रेता का नव काल है (मुक्तक)*
*जन्मभूमि है रामलला की, त्रेता का नव काल है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
मन मेरा दर्पण
मन मेरा दर्पण
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
कमौआ पूतोह
कमौआ पूतोह
manorath maharaj
- मोहब्बत का सफर बड़ा ही सुहाना -
- मोहब्बत का सफर बड़ा ही सुहाना -
bharat gehlot
बदल कर टोपियां अपनी, कहीं भी पहुंच जाते हैं।
बदल कर टोपियां अपनी, कहीं भी पहुंच जाते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चुनौतियाँ बहुत आयी है,
चुनौतियाँ बहुत आयी है,
Dr. Man Mohan Krishna
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
चांद , क्यों गुमसुम सा बैठा है।
चांद , क्यों गुमसुम सा बैठा है।
Radha Bablu mishra
जिसका हक है उसका हक़दार कहां मिलता है,
जिसका हक है उसका हक़दार कहां मिलता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बावरा मन
बावरा मन
RAMESH Kumar
*याद है  हमको हमारा  जमाना*
*याद है हमको हमारा जमाना*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
Rekha khichi
विषय-बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
विषय-बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
Priya princess panwar
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
Sunil Maheshwari
बीती बिसरी
बीती बिसरी
Dr. Rajeev Jain
मुक्तक
मुक्तक
Sonam Puneet Dubey
सोंच
सोंच
Ashwani Kumar Jaiswal
रफ़्तार
रफ़्तार
Varun Singh Gautam
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
Atul "Krishn"
Chahat
Chahat
anurag Azamgarh
फिर सुखद संसार होगा...
फिर सुखद संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुम्हारे प्यार से ही सब कुछ मुझे सौगात मिला !
तुम्हारे प्यार से ही सब कुछ मुझे सौगात मिला !
पूर्वार्थ
टूटते तारे से यही गुजारिश थी,
टूटते तारे से यही गुजारिश थी,
manjula chauhan
Loading...