अशोक, तीर (तट)
विषय- अशोक, तट
देख दृश्य दारुण्य का, अंतस व्यापित शोक।
जिज्ञासा छलने लगी, सत्पथ मिला अशोक।।
यमुना तट गोपी खड़ीं, मोहन रचते रास।
राधा माधवमय हुईं, व्यापित मन उल्लास।।
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ. प्र.)
विषय- अशोक, तट
देख दृश्य दारुण्य का, अंतस व्यापित शोक।
जिज्ञासा छलने लगी, सत्पथ मिला अशोक।।
यमुना तट गोपी खड़ीं, मोहन रचते रास।
राधा माधवमय हुईं, व्यापित मन उल्लास।।
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ. प्र.)