Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2024 · 1 min read

“अशान्त मन ,

“अशान्त मन ,
विचलित् भँवरे सा l
विचरण करता एक पुष्प से दूसरे पुष्प पर ,
एक पड़ाव से दूसरे पड़ाव ,
एक विचार से दूसरे विचार l
नहीं मिलती उसे शांति ,
नहीं मिलता उसे सारथी l
करता कर्म अपने ,
रखता भ्रम् अपने l
की एक रोज़ सब अपना होगा ,
सच सपना भी होगा l
होगी विजय की प्राप्ति ,
मन को मिलेगी शांति l
शांति शनै शनै मिलेगी
महाकाल कृपा पुनशच मिलेगी l”
नीरज़ कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”

110 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राजर्षि अरुण की नई प्रकाशित पुस्तक
राजर्षि अरुण की नई प्रकाशित पुस्तक "धूप के उजाले में" पर एक नजर
Paras Nath Jha
" तारीफ़ "
Dr. Kishan tandon kranti
*My Decor*
*My Decor*
Poonam Matia
2599.पूर्णिका
2599.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तुम्हें प्यार करते हैं
तुम्हें प्यार करते हैं
Mukesh Kumar Sonkar
स्त्री
स्त्री
Dinesh Kumar Gangwar
माँ सच्ची संवेदना...
माँ सच्ची संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
रैन  स्वप्न  की  उर्वशी, मौन  प्रणय की प्यास ।
रैन स्वप्न की उर्वशी, मौन प्रणय की प्यास ।
sushil sarna
माँ
माँ
Shyam Sundar Subramanian
श्री गणेश स्तुति (भक्ति गीत)
श्री गणेश स्तुति (भक्ति गीत)
Ravi Prakash
सगीर की ग़ज़ल
सगीर की ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पहले पता है चले की अपना कोन है....
पहले पता है चले की अपना कोन है....
कवि दीपक बवेजा
#जयंती_पर्व
#जयंती_पर्व
*प्रणय प्रभात*
मोबाइल
मोबाइल
Dr Archana Gupta
बेटियां होती है पराई
बेटियां होती है पराई
Radha Bablu mishra
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फुटपाथ की ठंड
फुटपाथ की ठंड
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
2. *मेरी-इच्छा*
2. *मेरी-इच्छा*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
प्यार..... करना, जताना और निभाना... तीनो अलग अलग बाते है.. प
प्यार..... करना, जताना और निभाना... तीनो अलग अलग बाते है.. प
पूर्वार्थ
हिंदी भाषा में प्यार है
हिंदी भाषा में प्यार है
Sonam Puneet Dubey
पुष्प
पुष्प
इंजी. संजय श्रीवास्तव
2 जून की रोटी.......एक महत्व
2 जून की रोटी.......एक महत्व
Neeraj Agarwal
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत
कवि रमेशराज
"जुबांँ की बातें "
Yogendra Chaturwedi
एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम हो गए
एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम हो गए
gurudeenverma198
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
SUDESH KUMAR
जम़ी पर कुछ फुहारें अब अमन की चाहिए।
जम़ी पर कुछ फुहारें अब अमन की चाहिए।
सत्य कुमार प्रेमी
दो वक्त की रोटी नसीब हो जाए
दो वक्त की रोटी नसीब हो जाए
VINOD CHAUHAN
मूंछ का घमंड
मूंछ का घमंड
Satish Srijan
श्री कृष्ण भजन 【आने से उसके आए बहार】
श्री कृष्ण भजन 【आने से उसके आए बहार】
Khaimsingh Saini
Loading...