अविश्वास
उसने कहा और तू मान गया
थामकर हाथ गैरों का तू चला गया
मिल गया अच्छा बहाना तुम्हें
खुद छोड़कर कहता है तू छला गया
कैसा है ये अंदाज़ तेरा
जो मुस्कुराकर मेरी ज़िंदगी से चला गया
चोट देकर मेरे दिल को
क्यों तू मरहम लगाना भी भूल गया
सुना नहीं है क्या ये तुमने
औरों की बातों पर विश्वास अच्छा नहीं
जो कहता है ज़माना तुमसे
कैसे मान गया, तू तो कोई बच्चा नहीं
विश्वास का था जो रिश्ता
उसको एक पल में ही तू तोड़ गया
इतना पत्थर दिल तू था नहीं
फिर मुझको अकेला क्यों छोड़ गया
खाई थी जो भी कसमें तुमने
भूल गए वो भी, जो किए थे वादे तुमने
काश तुम मुझसे बात करते
तुम्हारा इतना भी क्या किया था बुरा हमने
कहना चाहता था मैं भी तुमसे
लेकिन तुम्हारे पास मेरे लिए अब समय नहीं
जाने क्या हो गया है आज तुम्हें
जो कहते है दूसरे तुम्हारे लिए सही है वही
न मिटी ये गलतफहमी अब
है डर मुझे, देर बहुत हो जायेगी
तेरे मेरे प्यार की कहानी फिर
बस एक याद ही रह जाएगी।