Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2024 · 2 min read

*अविश्वसनीय*

लेखक डॉ अरूण कुमार शास्त्री
विषय अविश्वसनीय
शीर्षक तुम क्या सोचते हो
विधा स्वच्छंद कविता

जो न देखा कभी सुना भी नहीं कैसे करें भरोसा?
तुमको नहीं होगा विश्वास तभी कहते हो अविश्वसनीय।

तुम क्या सोचते हो होता होगा औरों को तभी शांत मन से विस्मृत स्मृतियां भुलाए ?
लेकिन यही कारण है प्रश्न चिन्ह लगे रहते उन भावों पर जो न कभी खयाल में भी आए ।

सोच से इत्तफाक रखने वाले पलों को समर्पित उपलब्ध
सपन कहाँ हो पाते पूरे ।
अविश्वसनीय, मगर कभी – कभी सत्य बन कर सामने आ जाते मृग मरीचिका से किंचित अधूरे ।

तुमको करना पड़ेगा भरोसा मानो या न मानो क्योंकि मैं अकेला ही नहीं इस जगत में जो हैं अनगिनत सवालों से घिरे।
हमारा मानस दिखा देता बहुत सी चीजें अनायास निकलता मन से अद्भुत अविश्वसनीय ये तो है सपन से परे ।

सृष्टि कह लो दृष्टि कह लो या अपनी बुद्धि समझ या फिर ज्ञान विज्ञान कुछ तो है जिसे हम मानते अविश्वसनीय ।
लेकिन सच्चा धर्मनिष्ठ प्रभु की रचना ब्रह्माण्ड से ही जनित और उपार्जित अतुलनीय।

जो न देखा कभी सुना भी नहीं कैसे करें भरोसा?
तुमको नहीं होगा विश्वास तभी कहते हो अविश्वसनीय।

चलो मैं ले चलता तुमको अपने पटल के सिद्ध ज्ञानी समीक्षकों के पास।
वे जानते अन्यान्य विषयों को लेकिन कभी न करते दंभ इसीलिए वे सब हैं अतिविशिष्ट और खास ।

विश्वास और अविश्वास दो ही किनारे बीच में खड़ा संशय जो पैदा कर सकता प्रश्न।
और इन्ही में डोलता मानव जीवन लिए अपनी छोटी सी उम्र भ्रमित मति और चकित मन।

जो न देखा कभी सुना भी नहीं कैसे करें भरोसा?
तुमको नहीं होगा विश्वास तभी कहते हो अविश्वसनीय।

सोच से इत्तफाक रखने वाले पलों को समर्पित उपलब्ध
सपन कहाँ हो पाते पूरे ।
अविश्वसनीय, मगर कभी – कभी सत्य बन कर सामने आ जाते मृग मरीचिका से किंचित अधूरे ।

127 Views
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

..
..
*प्रणय*
अछूत....
अछूत....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
World Blood Donar's Day
World Blood Donar's Day
Tushar Jagawat
न मुझको दग़ा देना
न मुझको दग़ा देना
Monika Arora
4436.*पूर्णिका*
4436.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहा पंचक. . . अर्थ
दोहा पंचक. . . अर्थ
sushil sarna
कौन हो तुम
कौन हो तुम
हिमांशु Kulshrestha
शुक्र मनाओ आप
शुक्र मनाओ आप
शेखर सिंह
मन का द्वंद  कहां तक टालू
मन का द्वंद कहां तक टालू
Shubham Pandey (S P)
*मोबाइल*
*मोबाइल*
Ghanshyam Poddar
मात-पिता गुरु का ऋण बड़ा, जन्मों न चुक पाए
मात-पिता गुरु का ऋण बड़ा, जन्मों न चुक पाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हम सभी नक्षत्रों को मानते हैं।
हम सभी नक्षत्रों को मानते हैं।
Neeraj Agarwal
वो चिट्ठियां
वो चिट्ठियां
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
वैज्ञानिक प्रबंधन की कहानी
वैज्ञानिक प्रबंधन की कहानी
विक्रम सिंह
प्रेम कहानी
प्रेम कहानी
Vibha Jain
नई उम्मीद
नई उम्मीद
Pratibha Pandey
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हे कहाँ मुश्किलें खुद की
हे कहाँ मुश्किलें खुद की
Swami Ganganiya
"" *सपनों की उड़ान* ""
सुनीलानंद महंत
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
पर्यावरण संरक्षण का नारा
पर्यावरण संरक्षण का नारा
Sudhir srivastava
मेरे जज्बात जुबां तक तो जरा आने दे
मेरे जज्बात जुबां तक तो जरा आने दे
RAMESH SHARMA
ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मचारिणी
surenderpal vaidya
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
shabina. Naaz
शिकवा नहीं मुझे किसी से
शिकवा नहीं मुझे किसी से
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
चाहती हूँ मैं
चाहती हूँ मैं
Shweta Soni
" धूप-छाँव "
Dr. Kishan tandon kranti
जब पीड़ा से मन फटता हो
जब पीड़ा से मन फटता हो
पूर्वार्थ
कातिल है अंधेरा
कातिल है अंधेरा
Kshma Urmila
ज़िंदगी में कामयाबी ज़रूर मिलती है ,मगर जब आप सत्य राह चुने
ज़िंदगी में कामयाबी ज़रूर मिलती है ,मगर जब आप सत्य राह चुने
Neelofar Khan
Loading...