1.राज “अविरल रसराजसौरभम्”
1.राज़-
सोची थी एक बात मगर कह नहीं सके
हम दूर तुझसे तेरे बगैर रह नहीं सके
सोची थी एक बात मगर कह नहीं सके
बातें दबी जुबान से होती रही मगर
हम खोल दिल का राज बयां कह नहीं सके
सोची थी एक बात मगर कह नहीं सके
चुपचाप राह-ए-उम्र गुजारी है अब तलक
बोले बगैर उनसे मगर रह नहीं सके
सोची थी एक बात मगर कह नहीं सके
हँस हँस के जख्म जिन्दगी के सहते रहे हैं हम
आंखों में अश्क आए मगर बह नहीं सके
सोची थी एक बात मगर कह नहीं सके
चाहा कि भूल जाऊँ उनकी फरियाद ना करूँ
ख्वाबों में बगैर याद किए रह नहीं सके
सोची थी एक बात मगर कह नहीं सके ।
आशीष अविरल चतुर्वेदी
प्रयागराज
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C.R.