*”अवध के राम”*
“अवध के राम”
कई शताब्दी बीत गई कठिन समय में ,
कहाँ छुपे थे श्री राम।
500 वर्षों के त्याग ,तपस्या बलिदान का सुखद परिणाम।
भादो मास द्वितीया तिथि में ,
रामलला शिलान्यास प्रभु का धाम।
सरयू नदी के तट पर पावन भूमि साकेत धाम।
अवधपुरी में शिलान्यास गर्वित ,गूंज उठा जय श्री राम।
गुंजायमान चहुँ ओर राम नाम का नारा जय श्री राम।
स्वप्न सुखद साकार हो गया , अयोध्या नगरी बनता प्रभु का धाम।
स्वर्गलोक से हो पुष्प वर्षा,आस्था संस्कृतियों का प्रतीक अयोध्या धाम।
घर घर आँगन दीप प्रज्वलित ,हर्षित मन शुभ हो जाये काम ।
युगों युगों तक हृदय में बसते ,कण कण में विराजते अवध के राम।
राम नाम दो अक्षर का ,अंतर्मन से जपते बन जाते बिगड़े हुए काम।
असम्भव को संभव बनाते ,वनवास समाप्त कर फिर से पधारे है अवध के राम।
संकल्प पूरा हुआ ,गूंज उठा चारों दिशाओं में ,जयकारों से जय श्री राम।
अयोध्या करती है आह्वान ,राममंदिर शिलान्यास का भव्य स्वागत निर्माण काम।
अयोध्या नगरी की बात निराली है चरण स्पर्श कराती है ये अवध धाम।
धरती अंबर सज गई , सब मंगल गाओ
दीपमालिका सजाओ आये अवध के राम।
लहराया परचम लाल तिरंगा ,ध्वजा तिरंगी श्री राम लला प्रभु के धाम।
खुशहाल हो रहा सारा संसार ,गर्वित शत शत अभिनंदन जय श्री राम।
राम नाम का जप से ,सभी सिद्धि की प्राप्ति अमंगल को हरते , मंगल करते अवध के राम।
*शशिकला व्यास शिल्पी *✍️
जय श्री राम सीताराम
रधुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
जय सिया राम जय सिया राम।
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