“अवधी मनोभाव”
1. का करी राम!
कुछ सूझत नाही
फूटल भाग्य।
2. रावरे जन
बिलखैं चहुं ओर
पड़ा अकाल।
3. जीव हमार
लागत नाही प्रभु!
उठै उफान।
-रेखा “मंजुलाहृदय”
1. का करी राम!
कुछ सूझत नाही
फूटल भाग्य।
2. रावरे जन
बिलखैं चहुं ओर
पड़ा अकाल।
3. जीव हमार
लागत नाही प्रभु!
उठै उफान।
-रेखा “मंजुलाहृदय”