अवंथिका
अवन्थिका
इतनी सारी औरतों के बीच मेरी नज़र आवन्थिका से मिली तो मैंने हाथ हिला दिया, वह भी मुस्करा कर मेरी ओर बढ़ आई ।
मैं उसे छः महीने पूर्व ऐसे ही किसी अन्तर्राष्ट्रीय महिलाओं के आयोजन में मिली थी । हाथ बढ़ाते हुए उसने कहा था,
“ अवन्थिका, अमेरिकन दूतावास से । “
“ मूलतः भारत से ?”
“ नहीं, श्रीलंका से , इसलिए अवन्थिका, अवन्तिका नहीं , परन्तु मेरे पति वाईट अमेरिकन हैं । “
“ कहाँ मुलाक़ात हुई ? “
“श्रीलंका में , हम दोनों पत्रकार थे, और श्रीलंका के गृहयुद्ध को कवर कर रहे थे । “
“ वाह, क्या अनुभव रहा होगा !“
“ हां , युद्ध, रोमांस , दोनों साथ हों तो, भावनाओं की उच्चाईयों को छुआ जा सकता है। “
“ निश्चय ही, एक दिन तुमसे यह सारी बातें मैं विस्तार से सुनना चाहूँगी । “
“ यकीनन, कल मारनिंग काफ़ी पर आ जाओ , मुझे भी आपसे बातें करनी हैं । “
मैंने थोड़ा हैरान हो उसे देखा, उसने हंसकर कहा , “ आज इतनी सारी औरतों में केवल आपने हाथ उठाया, जब वक्ता ने पूछा, कौन बुढ़ापे से नहीं डरता ! इसलिए मुझे भी आपसे बहुत कुछ सुनना है ।“
मुझे हंसी आ गई, “ अरे, तुम तो एशियन हो, तुम तो जानती हो , विश्व के हमारे हिस्से में , या यहाँ अफ़्रीका में भी , वृद्धावस्था का सम्मान किया जाता है । “
“ हो सकता है ।”
अगले दिन मैं उसे मिली तो उसने मुझे अपने दो बेटों से मिलाया, एक चार वर्ष का, और एक नौ महीने का ।
“ हमारी शादी के बाद डेविड ने विदेश विभाग में नौकरी कर ली, मैं भी एक बुटीक फ़र्म में नौकरी कर रही थी, बच्चे डेकेयर में जा रहे थे, मेरी सारी तनख़्वाह उसी में खर्च हो जाती थी, पर तसल्ली थी कि मैं कुछ अपनी ज़िंदगी बना रही हूँ, और यह बच्चे बड़े होकर मेरा सम्मान कर सकेंगे । फिर डेविड को यहाँ नाइजीरिया में आना पड़ा, आप देख रही हैं हमारे पास यहाँ सब कुछ है, हमें अपनी कल्पना से कहीं अधिक पैसा मिलता है, पर मेरे लिए कोई ढंग का काम नहीं है। “
“ तुम्हारे लिए तो अच्छा है, तुम्हें बच्चों के साथ समय मिल रहा है, घर में नौकर हैं , सामाजिक जीवन के लिए भी समय है। “
“ वह सब तो ठीक है, पर बड़े होकर यह बच्चे प्रोफ़ेशन न होने पर मेरी इज़्ज़त नहीं करेंगे । “
“ इस भय के बारे में मैं कई बार सुन चुकी हूँ , पर मैं अक्सर सोचती हूँ, मनुष्य का पहला नाता माँ से होता है, जब हम उस नाते को ही नहीं समझेंगे तो धरती, पानी, हवा से हमारा क्या नाता है , हम कैसे समझेंगे, मनुष्य के पास आज अपनों के लिए समय नहीं है, सारा समय कंप्यूटर स्क्रीन पर लिखे अंकों के पास जा रहा है, हम धीरे धीरे मशीन बन रहे हैं और हमें पता भी नहीं चल रहा । “
“ मैं समझती हूँ , पर आज की तारीख़ में अमेरिका में घर बैठने वाली स्त्री को हिक़ारत की नज़र से देखा जाता है, पढ़े लिखे लोग आपसे दोस्ती भी नहीं करना चाहते । “
“ अमेरिका जो सोचता है, ज़रूरी तो नहीं हम भी वही सोचें । “
“ सब तरफ़ तो अमेरिका छाया है, शिक्षा से लेकर संगीत तक, उन्हें ही तो सुना जा रहा है। “
“ तो इससे वे सही हैं , यह सिद्ध तो नहीं हो जाता, बल्कि हम बेवकूफ हैं यह ज़रूर पता चल रहा है । “
अवन्थिका हंस दी । उस दिन के बाद मैंने उसे आज देखा था ।
“ कैसा चल रहा है सब ? “ मैंने पूछा ।
“ बहुत बढ़िया, मम्मी पापा आए हैं आजकल, घर में ख़ुशी का माहौल छाया है । “
“ वाह । “
“ और हाँ , नाइजीरिया में अपने अनुभवों पर एक लेख लिखा है, जिसे न्यूयार्क टाइम्स छाप रहा है। । “
“ यह तो बहुत अच्छी ख़बर है । मुझे भेजना मैं पढ़ूँगी ।”
“ ज़रूर , और हाँ , एक बात और, आपसे बात करने के बाद मुझे लगा, हर चीज़ को धन में तौलना हमारी संस्कृति नहीं, और संस्कृति धन से बहुत बड़ी चीज़ है । “
“ बिल्कुल । “
वह मुस्करा कर और लोगों से मिलने चली गई ।
—— शशि महाजन