” अल्फाज़ “
रो रहे हैं आज वो अपने दिन – रात के खातिर ,
जिन्होंने तबाह कर दी मासूमों की मासूमियत अपने तुच्छ स्वार्थ के खातिर ।
✍️ ज्योति ✍️
रो रहे हैं आज वो अपने दिन – रात के खातिर ,
जिन्होंने तबाह कर दी मासूमों की मासूमियत अपने तुच्छ स्वार्थ के खातिर ।
✍️ ज्योति ✍️