अल्फाज़ ए ताज भाग-11
1.
आ बैठ साथ हमदम मेरे पहलू में।
तुझपे मैं कुछ मुख्तलिफ सा लिखूं।।
अल्फाजों से सवारूं तेरे हुस्न को।
तुझको मैं उर्दू के अलिफ सा लिखूं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
2.
यूं अपनी जरूरत पर ही तुम हमसे मिलते हो।
ये तो ना हुयी मोहब्बत तुम तिजारत करते हो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
3.
तेरे साथ बीते हुए लम्हों ने मुझको जीने ना दिया है।
मैं गया भीड़ में और तन्हाई में कहीं रहने ना दिया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
4.
कुछ उजले ख्वाब देखे है मेरी नजरों ने।
वफा का वादा किया है वक्त के लम्हों ने।।
फिरसे जीने की तमन्ना दिलमें जागी हैं।
अंधेरा मिटा है नयी सुबह की किरणों से।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
5.
हमारे वकार पर तुम झूठ की तोहमत लगा रहे हो।
खुद बेवफाई करके तुम हमको वफा सिखा रहे हो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
6.
वफाओं का मेरी तुमने क्या खूब सिला दिया है।
बिना जानें ही तुमने हमें खतावार कह दिया है।।
अब तुम दो खुशी या दो हमको कितने भी गम।
हमनें तुम्हारी नफरतों से भी प्यार कर लिया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
7.
बड़ा तन्हा था मैं अपनी बागबां जिन्दगी में।
बनके मेरे जिंदगी को खुशनुमा कर गए हो।।
बंजर जमीं सा था वजूद मेरा इस दुनियां में।
तुम बनके चाहतों का आसमां बरस गए हो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
8.
आज मिले हो तुम हमसे तो चाहत दिखा रहे हो।
चंद अल्फाज़ कह के झूठी मुहब्बत जता रहे हो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
9.
शुक्रिया तुम्हारा जो मेरे हमनवां बन गए हो।
मेरी बिखरी जिन्दगी के रहनुमा बन गए हो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
10.
गुजरे ज़माने वाले तुझे मैं क्या नाम दूं।
जो तुझे अच्छा लगे उसी से पुकार लूं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
11.
वक्त के साथ अब हमने खुद को ढाल लिया हैं।
अपनी जिंदगी को हम फिरसे जीना सिखा रहे हैं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
12.
मैं तेरी मोहब्बत को क्या नाम दूं।
तेरी बेवफाई को क्या पहचान दूं।।
किससे क्या कहें दिल ही जलेगा।
सोचता हूं जिंदगी यूं ही गुजार दूं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
13.
ना पूंछों हमसे कैफियत हमारी।
हमने हंसना रोना छोड़ दिया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
14.
वक्ते मर्ग है शायद कुछ कहना है तुझे।
तू कहे तो मौत से चंद सांसे उधार लूं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
15.
मैं तेरी बे वफाई को क्या नाम दूं।
तेरे इस इश्क को क्या पहचान दूं।।
अब कहने सुनने से क्या फ़ायदा।
सोचता हूं जिंदगी यूं ही गुजार दूं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
16.
माना हम गरीब है तो क्या हुआ साहब।
हमारे भी सीने के अंदर इक दिल धड़कता हैं।।
रहने को ना कोई भी आलीशां मकां है।
पर अपनी फर्श ये जमीं और छत आसमां है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
17.
तेरी बेवफाई का मेरे दिलमें खंजर चल गया है।
तमाशाई नज़रों को हंसने का यूं मंजर मिल गया है।।
जब से तू मुहब्बत भरा मेरा दिल तोड़ कर गया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
18.
खुदा तुझको हर बला,हर बुरी नज़र से बचाए।
तेरा हुस्न ही है ऐसा फरिश्तों का ईमान डोल जाए।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
19.
इक बार पढ़के देखो दिलसे मुझको।
मैं गीता मैं बाइबिल मैं ही कुरआन हूं।।
मैं हिन्दू मुस्लिम मैं ही सिक्ख ईसाई।
हर मज़हब है मुझमें मैं हिन्दुस्तान हूं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
20.
जिन पर यकीं था हमको खुद से ज्यादा उसी ने अकीदा हमारा तोड़ा है।
याद करके उस बेवफा बेदिल को आज दिल फिरसे हमारा खूब रोया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
21.
कुछ कहने सुनने से क्या फ़ायदा खुदा मेरी सुनता नहीं है।
दुआयें भी करूं तो क्या मैं करू असर इनमें होता नहीं है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
22.
कुछ तो खास है उसमें,
यूं ही नहीं हम खुद को मिटा बैठे हैं।।
है तसव्वुर या हकीकत,
जानें किस से हम दिल लगा बैठे हैं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
23.
ये दिल उन्हें बद्दुआ कैसे दे दें,
जो लबों पर बनकर दुआ बैठे है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
24.
देखा उसे तो फिर से सब याद आया।
मुद्दतों बाद मेरे शहर मेरा यार आया।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
25.
वतन परस्ती में मज़हब कैसा।
हम है वतन के वतन है हमारा।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
26.
हमको ना सिखाओ तुम मुहब्बत की बातें।
हमनें रो-रो कर गुजारी है बहुत तन्हा रातें।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
27.
दिल जिसका तलब गार है।
उसके बिन जीना बेकार है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
28.
सुन दिल तोड़कर जाने वाले।
दिल तुझे आज भी प्यार करता है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
29.
यूं तो हर दर्द हम अपनी जिन्दगी का अक्सर सबसे ही छुपा लेते हैं।
पर कभी-कभी तेरा जिक्र करके हम खुद के जख्मों को हवा देते हैं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
30.
यूं तो होती अश्कों की कोई ना कोई तो कहानी है।
जिंदगी कागज़ की कश्ती और बारिशों का पानी है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
31.
ये रास्ता भी हम जैसा तन्हा-तन्हा सा लगता है।
मिलते नहीं है इस पर चले हुए पैरों के निशान।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
32.
तुम कब तक हमें यूं ही नज़र अंदाज करोगे।
एक दिन खुद ही मुहब्बत का इकरार करोगे।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
33.
दीवानगी का रिश्ता हर रिश्ते से जुदा होता है।
आशिकी के आलम में इश्क ही खुदा होता है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
34.
गर आऊं कभी जो याद तो तुम मुस्कुरा देना।
मेरी मोहब्बत का बस तुम इतना सिला देना।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
35.
हर बार ही ख्याल तेरा तड़पा कर गया है।
कभी रुलाकर तो कभी हंसा कर गया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
36.
उल्फत ए इश्क में जिन्दगी बिगड़ गई।
जिससे थी मुहब्बत वो भी बिझड़ गई।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
37.
हद से भी ज्यादा जब दिल की ख्वाहिशें बढ़ने लगी।
गुनाहों के रास्ते पर जिन्दगी खुद ब खुद चलने लगी।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
38.
आसां ना होती है मोहब्बत की राहें।
ना हो यकीं तो तुम भी इस पर चलकर देख लो।।
सुकून ए दिल खो जाता है इश्क में।
तड़पोगे दम बेदम तुम भी इसे करकर
देख लो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
39.
रातभर ही कलियां भीगी शबनम से।
कायनात के ज़र्रे-ज़र्रे में नूर आया है।।
हमसे ना पूछो यूं हाल इस जमीं का।
खुदा ने जब बूंद ए आब बरसाया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
40.
अपने हालात पर रो रहा है।
एक मुल्क बरबाद हो रहा है।।
गुनाह पे गुनाह उसने किए।
खुदको जो पाक कह रहा है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
41.
हद से ज्यादा जब ये ख्वाहिशें बढ़ गई।
मेरी जिन्दगी गुनाह पर गुनाह कर गई।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
42.
कुछ दर्द सुलगते है सीने में।
सुकूं ना मिलता है कहीं जीने में।।
जिंदगी में होश है किसको।
हर शाम गुजरती है मेरी पीने में।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
43.
इक अरसे से हम सफर में तन्हा ही चल रहें है।
हर रंग देखा है हमनें इस बदलते हुए ज़मानें का।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
44.
आज फिर तुम्हारा ख्याल गया रुलाकर हमको।
खुदा जानें तुम कैसे जी रहे हो भुलाकर हमको।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
45.
बे मकसद की ये जिन्दगी जी रहे हैं।
इक मुद्दत से हम खुदसे ही लड़ रहे हैं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
46.
हर वक्त विरानियां के बस साथ चलते साए है।
तेरे होकर भी हम तुझे अपना ना बना पाए है ।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
47.
ये रिश्ते है जिंदगी में बनते बिगड़ते रहते है।
रखो इन्हे संभाल कर इन्हें दिल से जीते हैं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
48.
यूं हमसे ना पूंछों काफिरों का ईमां।
शैतान को मानते है ये अपना खुदा।।
मिले ना इन्हें ये जमीं ना ये आसमां।
जहन्नम की आग में होते हैं ये फना।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
49.
ना जाने दिल के अंदर मचा कितना शोर है।
जुबां तो कहना चाहे पर लब खामोश है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
50.
इन्तजार है हमको एक हमसफर का।
कब से सफर में हम तन्हा चल रहे हैं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
51.
हर मुश्किल फिर आसां होगी।
गर साथ तेरे दुआ-ए-मां होगी।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
52.
अगर हो कोई शिकवा तुम्हें तो तुम कहो हमसे।
गंवारा ना होगा हमें कोई तीसरा आकर बताएं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
53.
गमों ने जिंदगी को जीना सिखा दिया है।
दर्दों ने इन लबों को हंसना बता दिया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
54.
पाकीजा गलियों में बदनाम हो रही है।
यूं गरीब की जिंदगी नीलाम हो रही है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
55.
कुछ दौलत देकर एक बेटे का फर्ज़ निभा दिया है।
कमबख्त कहता है मैंने मां का कर्ज़ उतार दिया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
56.
बाद ए मुद्दत आज उनसे मुलाकात हो गई।
आज फिर वो हमको रूलाकर चला गया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
57.
हर आहट पे दम निकलता है कि तू आ गया।
लौटकर आजा तुझे मुन्तजर नज़रों का वास्ता।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
58.
ऐसे तो कहने को भीड़ से हम घिरे है।
फिर भी जिन्दगी में तन्हा हम बड़े है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
59.
गर कोई देखे तुमको तो बस देखता रहे।
यूं लगे जन्नत का नूर जमीं पर उतरा है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
60.
जहां का ऐसा कोई ज़र्रा नहीं।
जिसमें खुदा की खुदाई नहीं।।
हर तरफ है रहमत उसी की।
तुझको ही देती दिखाई नही।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
62.
मुकम्मल को तड़पता है।
ये इश्क ऐसा ही होता है।।
हर दिल ही ये जानता है।
इश्क करके वो टूटता है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
63.
जिंदगी है एक सफर।
मुसाफिर है हर बशर।।
चार दिन ही है जीना।
मकाम है फिर कबर।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
64.
कितनी भी हो खत्म हो ही जाती है।
ये दौलत है कोई खुदाई नहीं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
65.
चार दिन की थी जिंदगी चार दिन का था ये सफर।
अलविदा दोस्तों अब हम चलते है खुदा के घर।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
66.
उनसे पूंछो हाल दिले बे करार का।
शोखियां चेहरे की पहचान होती है।।
ज़रूरी नही कि लबों से ही बताये।
इशारों से भी हर एक बात होती है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
67.
ऐ जिंदगी तू कब तक यूं ही मुझसे उलझी रहेगी।
कितना समेटू तुझको तू कब तक बिखरी रहेगी।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
68.
उम्मीद ही तो है जो जज़्बा बनाए रखे है।
काले अंधेरों में यह शम्मा जलाए रखे है।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
69.
दर्द ए दिल किसको हम सुनाए।
कोई ना अपना सब ही है पराए।।
वहशत हुई है दीवारो दर से हमे।
ऐ दिल चल कहीं दूर घर बनाए।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
70.
मुद्दतों बाद उसके ताख पर एक चिराग जला है।
शायद पुरानी हवेली में कोई बशर रहने आया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
71.
घर का पुराना खादिम है हर राज जानता है।
जाकर उससे पूछो क्यों
पुरानी हवेली सा वह भी बेजान हो गया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
72.
जानें कितने राज छुपाए बैठा है।
खुदको अंजान बनाए फिरता है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
73.
कुरान का कलाम है।
जो उम्मत के नाम है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
74.
कर दो इतना करम खुदाया कि हर जख्म भर दो।
बड़ा सहा है दर्द हमने कि अब कुछ कम कर दो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
75.
बड़ी मोहब्बतों से संवारा था हमने उन्हें जो पराए हुए है।
रखा था ख्याल उनका जैसे बच्चा कोई शिकम में पले है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
76.
ये दुआ है मेरी रब से गर मौत आए तो लबों पर तेरा नाम हो।
ये जिन्दगी हो मयकदे की मयकशी में और हाथों में जाम हो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
77.
हर रिश्ते से हमनें खुद को बहुत दूर कर लिया है।
खैरियत पूंछी किसी ने तो हंसके हमने खैर कह दिया है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
78.
मुहब्बत की चाहत ना मिलती है कहीं बाजार में।
कि जाकर तुम खरीद लोगे इसे किसी दुकान में।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
79.
मेरी हर खुशी है कुरबान तुझ पर।
इक तेरा ही हक है मेरे दिलों जान पर।।
आ लेकर चलूं मैं तुझको चांद पर।
कुछ मुख्तलिफ सा लिखूं तेरे नाम पर।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
80.
वादा किया था तुम्हारी अंधेरी जिंदगी में उजाला लायेंगें।
अंधेरों से लड़कर तुम्हारे लिए चिरागों से हम जल रहे है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
81.
अपने शिकम में रखती है।
एक जिस्म दो जान होती है।।
जानें गम कितने सहती है।
तब जाकर वो मां बनती है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
82.
सारा का सारा सितमगर जमाना हुआ है हमारा।
मजधार में हम फंसे है नही मिलता है किनारा।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
83.
हर शू इबादत ही इबादत सुबहो शाम होती है।
इस जमीं पर बरकत नाजिल दिनों रात होती है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
84.
आज फिर शिद्दत से तुम याद आ रहे हो।
दूर हो करके भी तुम हमको रूला रहे हो।।
दिल बेचैन है हमारा और तुम मुस्कुरा रहे हो।
जानें कैसा रिश्ता तुम हमसे निभा रहे हो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
85.
दिल को उम्मीद है तुम्हीं से तुम ही हो सहारा।
तुम्हारे सिवा ना कोई भी इस जहां में हमारा।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
86.
अजनबी है ये शहर अनजानें है रास्ते।
तन्हा ही चल पड़े है मन्जिल के वास्ते।।
खुदको समझके देख कितनी है राहतें।
हर शख्स का नसीब है उसके हाथ में।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
87.
जिंदगी गुनाह सी लगती है।
हर सांस आह सी भरती है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
88.
तुम मेरी जिन्दगी बन गए हो।
तुम ही गम तुम ही खुशी बन गए हो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
89.
जिन्दगी कुछ सवालों के जवाब ढूंढती है।
क्यों है इतने सारे गम बेहिसाब पूंछती है।।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
90.
जानें कैसे शिकम में
रखती है।
मां है मां बड़े ही दर्द
सहती है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
91.
बदनसीबी ने कभी हमारा साथ ना छोड़ा।
अब तो हंसना भी हमको लगता है धोखा।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
92.
क्या कभी समन्दर को आफताब सुखा पाता है।
गर हो सच्ची मुहब्बत तो कोई ना मिटा पाता है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
93.
आज बे-नाम से पड़े है हम दफनाने के वास्ते।
कोई नही है अपना तुरबत में ले जानें के वास्ते।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
94.
आज फिर तुम याद आ रहे हो।
जिन्दगी बहुत उदास लग रही है।।
ना जानें कैसे तन्हा वो रह रहा है।
रूठा है जो वजह कुछ खास हुई।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
95.
खलिश सी हमको अहसास हुई।
गमों की फेहरिस्त बे-हिसाब हुई।।
वो कुछ ऐसे मिले हमको गैरों से।
यूं लगा अजनबी से मुलाकात हुई।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
96.
बद नसीबी ने कभी भी साथ ना है छोड़ा।
अब तो हंसना भी हमको लगता है धोखा।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
97.
यूं लगे हमें जिन्दगी हम उधार की जी रहे है।
अपने ही घर में हम किरायेदार से रह रहे है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
98.
बात तो थी झूठी फिर भी असर कर गई।
जिन्दगी की हर खुशी को नजर लग गई।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
99.
खुदको समझके देख कितनी है राहतें।
हर शख्स का नसीब है उसके हाथ में।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
100.
पैरहन में बहुत छेद थे उस गरीब के।
वो कैसे चला जाता यूं महफिले अमीर के।।
लफ्जों के सिवा कुछ ना था देने को।
तोहफे में दुआएं भेजी है वास्ते रफीक के।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️