अलख जगाते है
आओ अलख जगाते है, मिल -जुलकर नव प्रकाश लाते है
हीरक जयंती के पावन बेला में कुछ नये गीत हम गाते है
झूठ-फरेब की भाषा को छोड़ हम सत्यनिष्ठा राग बनाते हैं
अपने कर्तव्यों की पूंजी से एक नया समाज बनाते हैं
आओ अलख…………………….
औरों पर निर्भरता छोड़ हम स्वावलंबी बन जाते हैं
मेधावी तरूणाई का पोषण करके क्षमता अपनी बढ़ाते है
नवाचारों का स्वागत करके उनका उत्साह बढ़ाते है
आओ आत्मनिर्भर भारत बनाते हैं, आत्मनिर्भर बनाते है
आओ अलख जगाते……………..
भष्ट्राचार और भष्ट्राचारी मुक्त समाज का स्वप्न संजोये
पग पग कदम बढ़ाये, तनिक मात्र न साहस खोये
अपना अपना कर्तव्य निभाये, सत्यनिष्ठा को अपनाये
स्वस्थ, प्रगतिशील समाज बनाये, हम आत्मनिर्भर बन जाये
आओ अलख जगाते…….
स्व स्फूर्त ऊर्जा का संचार करे , नव भारत का नीव गढ़े हम
आत्मनिर्भर भारत के पथ पर आगे और आगे बढ़े हम
आओ अलख जगाते……..
आजादी की अमृत महोत्सव मनाते है, हीरक जयंती मनाते है
आओ अलख…