अलंकार
1.संदेह अलंकार – रूप रंग आदि का अदृश्य होने के कारण उपमेय में उपमान कथन से होने में संदेह अलंकार होते हैं जैसे –
“यह हृदय का बिंब है या है गवाक्ष ह्रदय पटल का। ”
रमणी के माथे पर लगे बिंदी कवियत्री को कभी हृदय का भीम मालूम पड़ता है तो कभी हृदय पटल का गवाक्ष।
इस प्रकार बिंदी को देखकर कवियत्री को संशय उत्पन्न होता है तो यह संदेह अलंकार है।
2. दीपक अलंकार – जहां उपमेय और उपमान का एक ही धर्म से सम्बन्ध स्थापित किया जाये वहां पर दीपक अलंकार होता है। जैसे –
” चितवन भोँह कमान रचना वरुण अलक।
तरुनि तुरगम तान आघु बकाई ही बढ़ेेे। ”
यहां एक सखी किसी नायिका को मान करने की शिक्षा दे रही है और प्रस्तुत ( उपमेय ) तरुनि के साथ उन सारी अप्रस्तुत (उपमान) वस्तुओं के नाम भी गिना जाता है जिस का महत्व टेढ़ेपन से बढ़ता है।
3 उत्प्रेक्षा अलंकार – जब उसमें में उपमान की संभावना या कल्पना कर ली जाए तब उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है
जैसे – ” मंजूल – मुख मानो शशि है ।” यहां उपमेय में उपमान की संभावना कर ली गई है।
4. विशेषोक्ति अलंकार – कारण के रहते हुए भी कार्य का ना होना विशेषोक्ति अलंकार है।
जैसे – ” धन रहने पर गर्व नहीं, चंचलता नहीं जवानी में।
जिसने देखी उसकी महानता, वही पड़ा है हैरानी में। ”
धन के रहते गर्व के ना होने और जवानी के रहते चंचलता का ना होने से विशेषोक्ति अलंकार है।