अर्धांगिनी का वह गुण जो गति देता है.
अर्धांगिनी
बायां अंग शरीर का
वाम मार्गी
कवि,लेखक,दार्शनिक, डॉक्टर, वैज्ञानिक सोच
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जहाँ तक गुण का सवाल है,
चुंबक के दो छोर,
विपरीत के ग्राहक,
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कहते है, मेरे जीवन को,
नरक बनाने वाली तुम हो,
स्वर्ग भी वही बनाती है,
कहना भूल जाते है लोग.
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तर्क वितर्क/हौसला/सहयोग.
शरीर के दो पैरों में.
एक अर्धांगिनी का है.
गुण से गति मिलती है.
और जीवन सहज आगे बढ़ता है.