अर्थ व्यवस्था मनि मेनेजमेन्ट
डा. अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
अर्थ व्यवस्था , money management – एक लेख
जीवन में सभी कुछ जरुरी, व्यक्ति , समाज , कार्य , नियम , ध्यान , धी धृति समाधि , मनोरंजन अर्थात् धर्म अर्थ काम – उसके उपरान्त मोक्ष |
इन सबके संचालन सुव्यवस्थित के हेतु अर्थ अर्थात् धन , धन के बिना जीवन का निर्वहन प्राय: असम्भव | ये आलेख मैं इसी विचार के अन्तर्गत लिख रहा हुँ | ये उन सभी पहलूंओं पर प्रकाश डालेगा जो जो नितान्त आवशयक हैं जीवन के सामान्य सम्वेहन के लिए |
इसी लिए वेदों में पुरुषार्थ के 4 उपादेयों में इसको धर्म के बाद दूसरा प्रमुख स्थान दिया गया है
सर्वप्रथम धर्म फिर अर्थ फिर काम फिर सबसे अन्त में मोक्ष |
प्रत्येक प्राणी अर्थात् मनुष्य ने अपने अपने परिवेश [ देश काल प्रकृति ] अनुसार किसी न किसी रुप में इसकी व्यवस्था की हुइ है | व अपने अपने स्थान पर रह्ते हुए वो इस के अनुरुप धनोपार्जन में लगा हुआ है कोई जरुरत के हिसाब से कमा रहा कोई जरुरत से ज्यादा कोई कोई तो जरुरत से कहीं ज्यादा |
अर्थात् धन सबका मूल है और उसकी आवश्यकता सभी कार्यों के निष्पादन हेतु नितात्न्त जरुरी |
जो धन हम कमाते हैं शास्त्र के अनुसार उसको व्यय भी करते हैं जैसे हम उसको 4 हिस्सों में खर्च करते है – एक अपनी सभी जरुरतों के लिए , दूसरा अपने बुरे वक्त के लिए जोड़ के रखने के लिए तीसरा अपने धार्मिक व पूर्व जनों के उपादेयों के व ऋण आदि के लिए चौथा दान आदि के लिए | इस व्यवस्था से धन व्यय करने से धन क सही उपयोग व व्यवस्था हो जाती है |
लेकिन आज कल ले परिवेश में धन को भविष्य की जरुरतों के अनुसार संचित करना थोड़ा विपरीत हो गया है – धन का वो हिस्सा जो हम राज्य ऋण के रुप में देते हैं या राज्य कोष को टेक्स /करों आदि रुप मे देते हैं इसमें भ्रान्ति है सभी कोई इसको इमानदारी से नही निभाते हैं |
जो निभाते हैं उनके लिए अपनी कमाई का एक बहुत बडा भाग उसके लिए देना होता है और वो सभी को चुभता है लेकिन देश के हित के लिए वो भी उतना ही जरुरी जितना धन का उपार्जन | क्योंकी हमारे द्वारा दिया गया टेक्स / कर हमारे पर ही देश के प्रतिनिधियों द्वारा खर्च किया जाता है , जल, विद्युत , सडक , सुरक्षा , आवागमन , रखरखाव , विपदा आपदा , चिकित्सा आदि आदि बडे बडे कार्यों में जो हम स्वयम् नही कर सकते तो उसकी व्यवस्था उसी टेक्स से राज्य व केन्द्र सरकार करती है |
अब रही बात शीर्षक सम्बधित जिसके अनुरुप जो बात मैं आपको बताना चाह्ता हुँ | इन सब खर्चो के बाद जो धन हमारे पास वच जाता है अधिकतर इन्सानों के पास उसकी उचित व्यवस्था के लिए या दो समझ नही होती या व्यवस्था नही होती या वो बेचारे उस मानसिक व शारीरिक अवस्था में नही होते की ये सब कर सकें |
तो कैसे ये सब होगा दोस्तो धन की व्यवस्था , money management इतना सरल प्रक्रिया भी नही जो हर कोई कर सके और जो कर सकते उनके समान कोई समझदार नहीं | फिर भी मेरा ये कहना है की सभी को इस का प्रयास करना होगा /चाहिए |
अब सबसे बडा सवाल दोस्तो धन की व्यवस्था , money management कैसे करें |
1 सबसे ज्यादा जो तरीका अपनाया जाता है – घर में ही किसी सुरक्षित रुप से उसको जोड़ते जाएँ लेकिन क्या ये सुरक्षित है क्या ये धन अपने स्थान पर बढ सकता है – नही बिल्कुल नही एक तो ये सुरक्षित नही दूसरा ये स्वयं बढ नही सकता तीसरा ऐसा धन कभी भी प्राकृतिक आपदा के या मौसम अनुसार खराब हो सकता है
2 बैंक , बैंक में धन रखना सुरक्षित है सामान्य रुप से एक समझदारी यहाँ ये सुरक्षित भी व बढ भी सकता है ये सुविधा सभी को समान रुप से उपलब्ध भी है | अच्छी बात |
3 धन को किसी जमीन मकान जायदाद या आभूषण व स्वर्ण आदि धातु जैसे आदि में लगा देना – ये भी सामान्य रुप से एक समझदारी की बात लेकिन आभूषण व स्वर्ण आदि धातु में लगा धन सुरक्षित ही हो ऐसा नही हाँ यदि उस को आप बैंक में लोकर आदि में रख दें तो सुरक्षित लेकिन वहाँ ये बढेगा नही | तो क्या करें
अब सवाल आता है धन तो कमा लिया लेकिन यदि इसको ऐसे ही रख लिया तो इसमें जंग ही लगेगा अर्थात जितना है उतना ही रहेगा | अपने आप बढ्ने से तो रहा – कहते हैं धन ही धन को आकर्षित करता है | सही बात लेकिन कैसे | ये गहन विषय है |
इसको एक उदाहरण से समझिये – आपके पास 100 रुपये हैं – घर पे रखे तो 100 के 100 ही रहेंगे , बेंक में रखे तो 3.5 प्रतिशत समान्य व्याज की सालाना दर से 103.5 हो जायेंगे | एफ डी करा दी तो 5.3 प्रतिशत चक्र वृद्धि व्याज की सालाना दर से 109.3 लगभग हो जायेंगे |
अब यदि मौजूदा परिवेश से देखें तो आप इसे व्यापार में लगा दें तो 100 रुपय आपको 150 रुपये भी दे सकते हैं लेकिन उसके लिए तमाम झन्झट जैसे पहले infrastructure चाहिए , लागत मूल्य व्यय करना होगा फिर ग्राहक फिर बिक्री फिर कमाई फिर दोबारा यही प्रक्रिया तब पूरा होगा और सबसे ज्यादा लगभग 6 घन्टे दुकान पे समय देना जरुरी |
अब दूसरा तरीका देखिए यदि 100 से 150 करने हैं – उसके लिए आपके सामने 2 ओपशंन हैं एक share mkt दूसरा मुचुअल फंड्स
share mkt में उतार चढाव का रिस्क पैसा बढ्ने से कहीं ज्यादा डूबता |
मुचुअल फंड्स एक व्यवस्थित तकनीक है ऐसे तमाम फ्न्ड्स को अर्थ शास्त्री अपने अनुभव से सालों साल समझने के बाद इनका सम्वहन करते हैं इसमें कई कम्पनी पर study होती हैं उनकी प्रति 3 माह की पर्फोरमेन्स देखी जाती है उसपर SEBI भारत सरकार का नियन्त्रण कार्य करता है तब जाके एक MF आपके निवेश के लिए तैय्यार होता है और खास बात ये की प्रतिदिन इसका NAV नेट अस्सेट वेलुयु के हिसाब से आंकलन होता है ये सब आपके कन्ट्रोल में रह्ता है sms से सूचित प्रतिदिन –
एक आंकलन के अनुसार एक MF लगभग 70 प्रतिशत तक की कमाइ दे सकता है मतलब 100 के 170 हें न कमाल की बात
हाँ एक बात और यदि ये पैसा आप 3 साल [ शोर्ट टर्म ] से पहले निकाल लोगे तो टेक्स ज्यादा लगेगा और यदि 3 साल बाद निकलोगे तो बहुत कम [ लोंग टर्म ]
अब आपके विवेक पर सब कुछ है मेरा लेख तो एक लेख ही रहेगा लेकिन यदि आपने इसका संज्ञान लिया तो आप को करोड पति बनने से कौन रोक सकता है |