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22 Mar 2024 · 1 min read

अर्ज किया है

अर्ज किया है

मेरे दर्द में उन्हें आ राम मिलता है
खुश हूँ मैं भी यह सोचकर
चलो किसी को तो राम मिलता है
खुद को ऐसे साँचे में डाल दिया
जैसे कड़ी धूप में जवासा खिलता है
उनकी फितरत ही कुछ ऐसी है
रोज छीलते हैं दिल मेरा
वो घाव की दरारें भरने भी आये
जैसे दर्जी कपड़े को सीलता है
खैर वो आये तो सही मरहम लगाने
बस यही सोचकर मन को सकूँ मिलता है
भवानी सिंह “भूधर”

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