अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
भाव सुदामा राखिए, राधा जैसे नीर।।
अपनों से इस जंग में, कौन किसी के साथ,
लाज धर्म की द्रोपदी, बस आशा का चीर।।
सूर्यकांत
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
भाव सुदामा राखिए, राधा जैसे नीर।।
अपनों से इस जंग में, कौन किसी के साथ,
लाज धर्म की द्रोपदी, बस आशा का चीर।।
सूर्यकांत