*अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं (राधेश्
अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं (राधेश्यामी छंद)
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अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं
कुछ पत्ते तोड़े राहों में, उनको ही तुम्हें चढ़ाया हूॅं
बोलो पर्वत कैलाशनाथ, कैसे मैं तुमको पाऊॅंगा
मैं देख-देख काले बादल, सागर को तुम्हें बुलाऊॅंगा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451