अरुण लालिमा लिए दिवाकर आज गगन में आया है
अरुण लालिमा लिए दिवाकर
आज गगन में आया है।
हरसित हैं खगवृंद सभी अब,
नवगीत सभी ने गाया है।।
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देखो देखो उसकी लाली
नव जीवन का संचार करे।
जो छोड़ चुके मोह’ जीवन का,
जीवन दर्शन भंडार भरे।।
जनजीव सभी प्रमुदित देखो,
सबने अब पर्व मनाया है।
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तम का अंधियारा छूट गया।
रातों का भ्रम भी टूट गया।
इक नयी सुबह का हुआ उदय,
यह देख उल्लसित हुआ हृदय।
यह देखि मनोरम दृश्य अटल
मन ही मन अति हरसाया है।
अरुण लालिमा लिए दिवाकर,
आज गगन में आया है।।
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