अरमान
गुल की चाह में कांटे आए हाथ ,
बड़ा नाज़ था अपने गुलिस्तान पर हमें।
कोई अरमान तो नहीं किया था ,
एक चाह की थी वो भी रास न आई हमें ।
गुल की चाह में कांटे आए हाथ ,
बड़ा नाज़ था अपने गुलिस्तान पर हमें।
कोई अरमान तो नहीं किया था ,
एक चाह की थी वो भी रास न आई हमें ।