अरज लेकर आई हूं दर पर बताने ।
ग़ज़ल
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अरज लेकर आई हूं दर पर बताने
सभी दर्द अपना तुम्हें ही सुनाने
जहां भी लगा है हमें ही सताने
जरा आ भी जाओ हमें तुम बचाने
समझ भी तो जाओ ज़रा दिल की हालत
हरो कष्ट मेरा किसी भी बहाने
लगी आसरा आप से मेरी मैया
जरा आ भी जाओ दरस भी दिखाने
मैं मझधार में हुं तुम्हें दिल पुकारे
बन पतवार आओ किनारे लगाने
दुआओं का सर पे सदा हाथ रखना।
चली आई ले जोत दर पर जलने ।।
सजा है यें दरबार दर पे जो आई।
भरी थाल मैया ले “ज्योटी चढ़ाने ।।
ज्योटी श्रीवास्तव jyoti Arun Shrivastava
अहसास ज्योटी 💞 ✍️