Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Dec 2021 · 2 min read

अम्मा

मैं बहुत उलझन में थी..रोज-रोज की मारपीट मेरे संस्कारों को बदल रही थी.. मैं कल की घटना याद करने लगी.. इन्होंने मेरी पूरी डायरी गैस पर रख दी..एक एक पन्ना राख हो गया..
“लो साहित्यकारा जी.. अपने सपनों के धुंए को कलेजे में भर लो और घर के काम में मन लगाओ, दिन भर पेज काला करती हो, अब बंद करो ये सिलसिला। औरतें चौके में ही अच्छी लगती हैं”
कहकर इन्होंने भड़ाक से दरवाजा बंद किया और बाहर निकल गये।
मैं वितृष्णा से भरी अपनी सास के कमरे में गई और उनकी गोद में सर रख कर फूट-फूट कर रो पड़ी थी। मेरी सासू माॅं से मेरे बहुत मीठे और भावपूर्ण संबंध थे, उस पल उनका मेरे सर पर हाथ रखना मुझे बहुत अच्छा लगा..
आज सुबह मैं धूप में अपने हाथों को घुमा रही थी.. अपनी रेखाओं को घूर रही थी..चेहरे पर कल का तनाव छाया था.. अचानक अम्मा की आवाज सुनाई पड़ी
“बेटा..”अम्मा बगल में खड़ी थी..
मैंने झट से आंसू पोंछे और रसोई की तरफ जाने लगी..वो मेरे सामने आईं और
मेरे हाथ में एक डायरी रख कर बोलीं..
“ये वो सब रचनाएं हैं जो तुम मुझे पढ़ने को दे जाती थी..”
“अम्मा! मैंने अचरज भरी नजर से उन्हें देखा..
“हां बेटी! तुम इतना अच्छा लिखती थी कि मैं अपने पास लिख कर रख लेती थी और बाद में पढ़ा करती थी”
अरे! मैंने भावविह्वल होकर डायरी अपने सीने से लगा ली।
“और हां.. मारपीट के आरोप में कुणाल को जेल हो गई है, रात में मैंने आनलाइन शिकायत दर्ज करवाई थी, सवेरे तुम जब मंदिर गई थीं तब पुलिस आई थी और उसको पकड़ कर ले गई है..अब तुम निश्चिंत होकर रहो बेटा, उसको कुछ दिनों की सजा मिलेगी, शायद उससे वो कुछ बदल जाए..”कह कर उन्होंने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा..
“अरे अम्मा!” मैं चरण स्पर्श करने झुकी, पर उन्होंने मुझे गले से लगा लिया।

स्वरचित
रश्मि संजय श्रीवास्तव
रश्मि लहर
लखनऊ

Language: Hindi
606 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*चंद्रशेखर आजाद* *(कुंडलिया)*
*चंद्रशेखर आजाद* *(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
है अजब सा माहौल शहर का इस तपिश में,
है अजब सा माहौल शहर का इस तपिश में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी
बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी
gurudeenverma198
सच्चाई का रास्ता
सच्चाई का रास्ता
Sunil Maheshwari
GOOD EVENING....…
GOOD EVENING....…
Neeraj Agarwal
साधना से सिद्धि.....
साधना से सिद्धि.....
Santosh Soni
अपनी अपनी सोच
अपनी अपनी सोच
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
काश तुम मेरे पास होते
काश तुम मेरे पास होते
Neeraj Mishra " नीर "
Forget and Forgive Solve Many Problems
Forget and Forgive Solve Many Problems
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
राह नहीं मंजिल नहीं बस अनजाना सफर है
राह नहीं मंजिल नहीं बस अनजाना सफर है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
मोहब्बत में इतना सताया है तूने।
मोहब्बत में इतना सताया है तूने।
Phool gufran
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
फितरत
फितरत
Dr fauzia Naseem shad
फितरत
फितरत
kavita verma
मैं साहिल पर पड़ा रहा
मैं साहिल पर पड़ा रहा
Sahil Ahmad
"सपने"
Dr. Kishan tandon kranti
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
कवि दीपक बवेजा
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
कवि रमेशराज
*ऐसा युग भी आएगा*
*ऐसा युग भी आएगा*
Harminder Kaur
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शेरनी का डर
शेरनी का डर
Kumud Srivastava
एक दिन का बचपन
एक दिन का बचपन
Kanchan Khanna
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
Manju sagar
जिन्दगी
जिन्दगी
लक्ष्मी सिंह
ঈশ্বর কে
ঈশ্বর কে
Otteri Selvakumar
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
कुछ लड़के होते है जिनको मुहब्बत नहीं होती  और जब होती है तब
कुछ लड़के होते है जिनको मुहब्बत नहीं होती और जब होती है तब
पूर्वार्थ
ایک سفر مجھ میں رواں ہے کب سے
ایک سفر مجھ میں رواں ہے کب سے
Simmy Hasan
Loading...