अम्बे भवानी
कभी धरे कन्या रूप, कभी माता का स्वरूप, बाँटती भवानी मात, सबको ही प्यार है।
लाल लाल है चुनर, बिन्दी टीका भाल पर, अस्त्र शस्त्र हाथ लिये, शेर पे सवार है।
भक्तों का जो रख ध्यान, दे देती अभयदान, वहीं दानवों का भी माँ , करती संहार है।
आये देखो नवराते, हो रहे हैं जगराते, गूँज रही चहुँ ओर, माँ की जयकार है।।
01-10-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद