अमृत महोत्सव
अमृत के बारे में,
आप क्या सोचते हो !
.
अमृत का जिक्र आते ही,
एक बात याद में जरूर आती है,
समुद्र मंथन.
सुर और असुर,
बाई प्रोडक्ट,
अमृत की उत्पति,
आगे की चर्चा में
असुर लेकर भाग गये,
असुर मतलब देवता,
देव खेमे में अफरा तफरी का माहौल,
कहानी में एक शिव ही है,
भोलेनाथ,
फिर त्रिदेव.
ब्रह्मा
विष्णु
महेश और इंद्र-देव,
दंतकथा / कपोल कल्पित रचनाओं में
संदर्भ यही रहता है,
इंद्र ब्रह्मा/विष्णु/महेश को सूचना देते है,
वे शिव के पास जाते है,
विष्णु मनमोहिनी रुप धारण करते है,
और शूर वर्ग से,
अमृत कलश छीन ले आते है,
अब धार्मिक उंमाद से बचने के लिए,
लेखक अपनी लेखनी से,
स्पष्टीकरण नहीं देना चाहता,
खुद सोचें,
जो देवता है,
वे लेते नहीं देते हैं,
जैसे
सरवर/तरवर/संतजन और चौथे बरसे मेह.
परमार्थ के कारणे, चारों धारे देह,
.
अमृत है क्या,
आयुर्वेद में
तक्र अमृतोभव:
छाछ भी अमृत समान फायदेमंद है,
शहद/शराब/घृत पदार्थ में
बीस विशिष्ट युगल गुण है,
अमृत समान भौतिक देह को फायदे पहुंचा देते है
अब प्रश्न खडे हो जाता है.
आजादी के 75वे दिवस पर
हर घर पर तिरंगा 🇮🇳 फहराने से,
जो जनता गिरते रूपये को देख रही है,
अनाज/दाल/दलिया पर 5% जी.एस.टी
इतिहास में पहली बार सरकार,
जनता से ले रही है,
उसे आजाद भारत के 75वें वर्ष को.
अमृत महोत्सव कहते है.
देश मूलभूत संरचना में
व्यवहार में
व्यवसाय में
व्यवस्था में बिछुड़ रहा है,
.
कहना कठिन है,
ये घर परिवार
विश्व को एक कुटुंब
देख सकता है.
दार्शनिक दृष्टिकोण तो है ही नहीं,
उसके बिन फैल पाना मुश्किल है,
धन संपदा चुनिंदा हाथों की कटपुतली बन कर रह गई,
भाई भाई का खाय
जडामूल तै जाय,
.
हिंदू राष्ट्र की कल्पना
हमारे देश के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
क्रमशः