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29 Aug 2024 · 1 min read

अमृत नागर

अमृत नागर

हे मेरे मधु अमृत नागर।
अतुलनीय प्रिय विश्व उजागर।।
दर्शनीय अति मधुर धरोहर।
दिव्य भावमय सहज मनोहर।।

अलबेला है रूप अमृता।
कोमल नित नम वृत्ति शिव मता।।
है ललाट अतुलित चमकीला।
सरसिज भावुक रंग छबीला।।

सत्व सत्य सुन्दर आकर्षक।
छवि मधुरिम अतिशय शिव हर्षक।।
देख रहा मन मचल रहा है।
छूने को दिल तड़प रहा है।।

किन्तु नहीं मुश्किल कुछ भी है।
यदि जागृत अति स्नेह अमर है।।
दृढ़ संकल्प जहाँ भी दिखता।
मनोकामना का फल मिलता।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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