अमन के दुश्मन
यूं ही नहीं लगा करती आग ,
साम्प्रदायिकता की देश में।
इसमें स्वार्थ का घी डालते नेता,
और सुखी लकड़ियां डालते ,
धर्म के ठेकेदार डालते शैतान के वेश में ।
यूं ही नहीं लगा करती आग ,
साम्प्रदायिकता की देश में।
इसमें स्वार्थ का घी डालते नेता,
और सुखी लकड़ियां डालते ,
धर्म के ठेकेदार डालते शैतान के वेश में ।