अभी जाम छल्का रहे आज बच्चे, इन्हें देख आँखें फटी जा रही हैं।
अभी जाम छल्का रहे आज बच्चे, इन्हें देख आँखें फटी जा रही हैं।
पलो में अभागे बनें भाग्य खोते, अजी जिन्दगी ही कटी जा रही है।
अवस्था न बाल्या करे जुर्म ऐसे, दुखों की कहानी रटी जा रही है।
सितारे जमी की धसे हैं धरा में, दरारें बची थीं पटी जा रही हैं।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन