अभी अधूरा अभिनन्दन है
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सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ !
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अभी अधूरा अभिनन्दन है
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दीपक अभी नहीं जल पाया , माँ के मन की आशा का ।
अभी अधूरा अभिनन्दन है, अपनी प्यारी भाषा का ।।
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यों तो सिंहासन पर हमने, लाकर इसे बिठाया है ,
पर अपने ही हाथों से विष, प्याला इसे पिलाया है ,
टूट गया है कच्चा धागा , इसकी मन अभिलाषा का ।
अभी अधूरा अभिनंदन है, अपनी प्यारी भाषा का ।।(१)
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बड़े अनूठे अक्षर अनुपम,अद्भुत शक्ति भरे प्यारे ,
अनुस्वार लगते ही करते, ब्रह्मनाद मिलकर सारे ,
हर अक्षर है एक योगिनी , अंत न ज्ञान पिपासा का ।
अभी अधूरा अभिनंदन है, अपनी प्यारी भाषा का ।।(२)
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अब तक मान दिया है थोथा, फिर भी तो मुस्काते हैं,
देख रहे दुर्दशा मौन हम, मन में नहीं लजाते हैं ,
दूर करो अँधियार आवरण ,तोड़ो धुंध-कुहासा का ।
अभी अधूरा अभिनंदन है, अपनी प्यारी भाषा का ।।(३)
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छंद गीत कविता मल्हार का, नीर अमिय सम पिलवाये,
रसिया-राग-रागिनी के फल , मेवा व्यंजन खिलवाये ,
बहुत दिनों से दिया खिलौना , इसको मात्र दिलासा का ।
अभी अधूरा अभिनंदन है, अपनी प्यारी भाषा का ।।(४)
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-महेश जैन ‘ज्योति’, मथुरा !
१४ सितम्बर !
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