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22 Aug 2018 · 6 min read

अभिशाप (एक दर्द भरी कहानी)

फोन की घण्टी बज रही थी…..मोहित ने घड़ी देखी सुबह के 7 बज रहे थे । उसने फोन उठाया । उधर से आवाज आई…..मैं थाने से बोल रहा हूँ….. एक स्त्री रेल से कट कर मर गई है …… उसके फोन में लास्ट डायल में आपका नम्बर था इसलिये आपको फोन किया। मोहित को तो काटो खून नहीं। रात तो मौसी से बात हुई थी ।बेहद उदासी भरी हताश सी बातें कर रही थी। कल जो कुछ घर में हुआ बता रही थी। आवाज में भी बहुत कमजोरी थी। लेकिन वो थका हुआ था उसने कह दिया मौसी कल शाम घर आकर विस्तार से बात करूंगा पर अब तो ….. । जल्दी से थाने भागा। लाश मोर्चरी में रखी हुई थी । उसने मौसा जी को फोन किया जो बिजली विभाग में कार्यरत थे । दो साल पहले ही रिटायर हुए हैं। मौसा जी को तो लगा उसकी बात सुनकर सांप सा ही सूंघ गया ।’मैं आता हूँ’ …. कहकर उन्होंने फोन काट दिया। मोहित सामने पड़ी बेंच पर बैठ गया । उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। मौसी माँ की लाडली बहन थी उनसे छह साल छोटी थीं । मोहित भी मौसी के दिल के बहुत करीब था। सोच में डूब गया मोहित ….. माँ बताया करती थी जब उनके जन्म के बाद मौसी पैदा हुई तो सबको खल गईं।क्योंकि सबको लड़का चाहिए था ।उनके होने से पहले लड़की जानकर कई गर्भपात करा दिए गए थे ।उस बार लड़का होने की रिपोर्ट पर ही बच्चा पैदा किया गया पर हुई लड़की । किसी को बर्दाश्त ही नहीं हुआ ।कोहराम सा मच गया । कोई शगुन नहीं हुआ बस मातम ही हुआ।उन्हें कभी कोई प्यार माँ बाबूजी का नहीं मिला। बल्कि छोटी छोटी गलतियों पर पिटाई होती थी। माँ पहला बच्चा थी इसलिये उन्हें सबका लाड़ मिला। बाद में कई गर्भपात के बाद छोटा भाई आने पर तो उनकी हालत और खराब हो गई। एक तरह से नौकरानी वाली ही हो गई । स्कूल तो भेजा गया उन्हें पर पढ़ाई की कोई सुविधा नही दी उन्हें। स्कूल जाते जाते काम। स्कूल से आते ही फिर काम ही काम । बस माँ ही बहुत प्यार करती थी उन्हें। माँ बताती थीं एक बार मौसी ने भूख लगने पर भाई के लिए रखा हुआ सेब खा लिया । फिर तो उनकी वो पिटाई हुई कि दुखी होकर मौसी ने गेहूं में रखी सल्फास की गोलियां खा ली। वो तो माँ ने देख लिया। पुलिस के डर के मारे जैसे तैसे उन्हें बचाया गया । मां की शादी के बाद तो मौसी की हालत और बदतर हो गई थी। 16 साल की उम्र में ही उनकी शादी भी कर दी गई हमारे शहर में ।पर यहां भी मौसी के दुर्भाग्य ने पीछा नहीं छोड़ा । तेज तर्रार सास और विधवा बहन का आज्ञाकारी पुत्र और भाई निकला उनका पति। दिन रात उनकी सेवा में जुटी रहतीं मुँह में बोल तो जैसे थे ही नहीं उनके। मायके वालों ने शादी के बाद उनसे कोई मतलब ही नहीं रखा। बस कभी कभी माँ से मिलना होता रहता था उनका । अपने दुख दर्द बाँट लेती थी उनसे। वो भी बराबर में बैठे सब बातें सुनता रहता था ।बात बहुत समझ तो उसे नही आती थी पर मौसी के आँसू उसे अच्छे नहीं लगते थे। अपने हाथों से उन्हें पोंछ देता था और मौसी उसे गले लगा लेती थी उसे बहुत प्यार करती थी मौसी। माँ बताती हैं एक बार जब फिर मौसी ने जुल्मों से तँग आकर जान देने की सोची तभी उन्हें पता चला वो गर्भवती हैं । उस दिन से वो खुश रहने लगी थी। उन्हें यही लगने लगा था अब कोई उनका अपना आने वाला है जो उनका उद्धार करेगा । उनको समझेगा । और फिर रौनक उनके घर आया एक साल बाद ही रोशनी से उनकी दुनिया मे चहचहाहट भर गई। सास की चिलपौ, पति का कर्कश व्यवहार , नन्द की मनमानी उन्हें कुछ भी बुरा नहीं लगता था। वो तो अपनी खुशी में मग्न अब दूसरी दुनिया में ही रहने लगी थीं। बच्चे पढ़ने में अच्छे निकले । लड़का बैंक अफसर और बेटी इंजीनियर बनी। बेटी की शादी उसके जॉब में आते ही कर दी । वो अपने घर में खुश थी। नौकरी और अपनी ससुराल में व्यस्त।मौसी भी उसे कुछ बताकर दुखी नहीं करना चाहती थीं। एक बहुत बड़ा झटका मौसी को तब लगा जब उनकी बड़ी बहन यानी उसकी माँ अचानक चल बसीं। बहुत फूट फूट कर रोई थीं वो। कहती थी अब मैं अनाथ हो गई। वो तो खुद ही बिल्कुल टूट सा गया था पर उसने मौसी को गले लगाकर कहा था ‘मैं हूँ न ‘। उसने ही अपनी शादी में उन्हें फोन खरीद कर दिया था भेंट स्वरूप ताकि जब चाहें उससे बात कर सकें। उनके बेटे ने भी प्रेम विवाह किया। पति तो बिल्कुल भी तैयार नहीं थे । हालांकि उन्हें भी लड़की और उसका परिवार ठीक नही लगा फिर भी बेटे की खुशी के लिये बड़े लाड़ प्यार से बहु घर पर लेकर आई। पर शायद यहां भी उनकी किस्मत दगा दे गई। बहु के पिता जी का कोई काम नही था । भाई भी आवारा था । वो तो हर वक़्त घर मे डेरा डाले रहते और बहू को चढ़ाते रहते । बहु को हर समय ठंडा बुखार। मौसी दिन रात काम करती रहती। बेटे से बात करने की कोशिश की तो बेटे का जवाब सुनकर भौचक्की रह गईं । बोला ये क्या माँ आपको सबसे प्रॉब्लम रही। पहले अपने माँ बाप फिर सास अब बहु। कभी तो एडजस्टमेंट करना सीखो। पापा को भी आपसे इसलिये शिकायत रहती है। कुछ समझती ही नहीं हो आप। मौसी घुट कर रह गईं। उन्होंने मन ही मन फैसला कर लिया था कि अब वो किसी से कुछ नही कहेंगी। जब बहु के पैर भारी हुए वो सबसे भारी वक़्त था उनका । काम भी सारा करती ऊपर से बहु के इल्जाम….’इन्हें मैं खाते हुए अच्छी नहीं लगती । तभी वही बनाती हैं जो मैं नहीं खाती। ‘ अब बहु को रौनक की बुआजी का भी पूरा संरक्षण प्राप्त था। मौसी तो खाना बनाने से पहले बहु से पूछ कर आती थी क्या खाना है । पर अगर वो बेटे से ये कहती तो बेटा सही क्यों मानता उसे भी अब यही लगने लगा था माँ में ही प्रॉब्लम है तभी कोई पसन्द नही करता इन्हें। बहु की माँ लोकल होने की वजह से रोज ही बेटी से मिलने आती और ज्ञान बघार जाती क्या क्या खाना है। मौसी रसोई में उसे पूरा करने को जुटी रहती। कभी जूस कभी फल कभी मेवा कभी दूध। इसी बीच बेटे का भी ट्रांसफर हो गया । पति ने बैठक तक खुद को सीमित कर लिया। मौसी चुपचाप सबकी बातें सुनते हुए कामों में लगी रहतीं। पर जिस दिन दूध जैसा पोता घर आया। मौसी फिर निहाल हो गईं । सब दुख भूल गईं। सपने बुनने लगीं । पर सपना तब टूटा जब बहु ने पोते को हाथ भी लगाने को मना कर दिया । अब बहु की माँ भी घर पर ही रहने लगीं थीं। बेटी की देखभाल के नाम पर। पर काम सारा मौसी ही करतीं। मौसी का शरीर भी टूट गया था इतना काम नही हो पा रहा था। उन्हें बुखार आ गया । तब भी वो काम करती रहीं । पर कल अचानक बेहोश होकर गिर गईं। फिर तो घर मे कोहराम ही मच गया। कहा गया जरा काम क्या बढ़ गया इनका नाटक शुरू हो गया।क्या क्या नहीं कहा गया उन्हें रौनक की बुआ भी कहने लगीं शुरू से आदत है इसकी तो नाटक करने की। बहुत रोई मौसी और कल रात मौसी उसे फोन करके यही सुना रही थी पर उसने ठीक से पूरी बात नहीं सुनी । सोचा कल जाकर खुद मिल लेगा । पर शायद उन्होंने मन तभी बना लिया था…… उनकी लाश लेकर घर आये तो सुना बुआ , बहु और उसकी माँ कह रही थीं कुछ किया तो है नहीं आज तक । रेल से कटकर बदनामी और दे गई। कुल का नाम बदनाम कर गई । घर के लिए बस अभिशाप ही रही…..

22-08-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
2 Likes · 3879 Views
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