अब सुनहरी धूप 【गीत】
अब सुनहरी धूप 【गीत】
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अब सुनहरी धूप यह आकाश में छाने लगी
(1)
पंख फैलाकर उड़ी चिड़िया गगन छूने चली
स्वर लिए कर्कश टहलता दिख रहा कौआ बली
सिकुड़े हुए हर एक पौधे में चमक आने लगी
अब सुनहरी धूप यह आकाश में छाने लगी
(2)
धूप के शुभ आगमन की हो रही तैयारियाँ
रंग फूलों का वसन्ती आ गई पिचकारियाँ
माघ जाता देख बूढ़ी शीत भी जाने लगी
अब सुनहरी धूप यह आकाश में छाने लगी
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.)मो. 9997615451