अब राम बचाये
चिड़ियों पर बाजों ने हमला,बोल दिया अब राम बचाये।
गौरैया की साँसे अटकी,मैना भी अब नहीं सुरक्षित
अपने ही जब लगे लूटने,कैसे कोयल भी हो रक्षित
सोच रही है सोनचिरैया,किससे अपनी व्यथा बताये।
जिनसे हम हैं जीवन पाते,करते उनको नित्य प्रदूषित
गंदे नाले डाल-डाल कर,करते रहते उनको दूषित
मानव की मनमानीपर अब ,गंगा केवल अश्रु बहाये।
फल देते जो मीठे-मीठे,जामुन, केंदू और विल्वफल
गुलमोहर,पलास से शोभित,प्राणवायु नित देते निर्मल
उन्हीं वनों को काट रहे हम,वन कैसे यह दुख सह पाये।
चिड़ियों पर बाजों ने हमला,बोल दिया अब राम बचाये ।
वसंत जमशेदपुरी,9334805484