अब पछताए होत क्या – बाल कहानी
एक बार की बात है | एक जंगल में , एक बिल्ली और चूहा रहा करते थे | वे बहुत ही पक्के मित्र थे | सुबह से लेकर शाम तक साथ रहते , खेलते और मस्ती किया करते थे | उनकी दोस्ती के चर्चे पूरे जंगल के साथ – साथ दूर के जंगलों में भी हुआ करते थे | जंगल के सारे जीव उनकी दोस्ती के उदाहरण दिया करते थे | वैसे तो जंगल के सभी जीव आपस में प्यार से रहा करते थे और कोई किसी को परेशान नहीं किया करता था |
एक बार की बात है कि बिल्ली को दो दिन तक भोजन के रूप में न तो खाने को कुछ मिला और न ही पीने को | बिल्ली की हालत बहुत ही ज्यादा खराब हो गयी थी | वह मरने की स्थिति में आ पहुंची थी | अब कोई उसे बचा सकता था तो उसका अपना दोस्त चूहा | क्योंकि बिल्ली के पास दोस्त को खाने और अपनी जिन्दगी बचाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था |
बिल्ली ने न चाहते हुए भी अपने दोस्त चूहे को ही अपनी जिन्दगी बचाने के लिए अपना आहार निश्चित किया और उसने अपने दोस्त को ही अपना निवाला बना लिया | बिल्ली के कुछ कदम दूर जाने पर गाँव के एक घर से दूध की महक आई किन्तु अब यह दूध उसके किसी काम का नहीं था | बिल्ली खुद को कोसने लगी | उसे अपने किये पर शर्म आ रही थी | हाय ! ये मैंने क्या कर दिया |
वह स्वयं को कोसने लगी कि काश मैंने और प्रयास किये होते तो आज मेरा मित्र मेरे साथ होता और हमारी दोस्ती भी यूं बदनाम न होती | इस कहानी को पढने के बाद हम यह कह सकते हैं कि हमें जीवन के अंतिम क्षण तक प्रयासरत रहना चाहिए |