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19 Jun 2024 · 1 min read

अब न जाने क्या हालत हो गई,

अब न जाने क्या हालत हो गई,
तन्हाइयों से ज्यादा मोहब्बत हो गई।

पाना चाहा था जिसको हमने,
मगर आज उसको भूलने की आदत हो गई।

सोचा था कि कभी न जाएंगे दूर तुमसे,
पर तुमको ही हमसे नफ़रत हो गई।

कभी बातें करते थे इन हवाओं से, फिजाओं से,
लेकिन आज पत्थरों से बात करना हमारी फितरत हो गई।

तुमसे गिला शिकवा करें भी तो कैसे,
कह दें किसको कि हमें तुमसे शिकायत हो गई।

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