अब नहीं दिखता है सावन का उल्लास
गांवों में अब नहीं दिखता है
लोगों में सावन का उल्लास
आधुनिकता की होड़ में भूले
युवा परस्पर हास परिहास
मोबाइल ने बना दिए घर
घर में अनगिनत परिक्षेत्र
मोबाइल में व्यस्त युवाओं को
बर्दाश्त नहीं दूजों का हस्तक्षेप
हर अभिभावक दुखी है देख
अपनी संतति का रंग ढंग
चिंता यही कि कैसे निभेगी
पाल्यों की कभी दूजों के संग
सहकारिता के भाव को हर ले
गया मोबाइल का भ्रम जाल
ऐसे में कैसे विकसित होंगे सब
गांव यह लाख टके का सवाल