अब तो हमको भी आती नहीं, याद तुम्हारी क्यों
अब तो हमको भी आती नहीं, याद तुम्हारी क्यों।
अब तो हमारी होती नहीं इच्छा, तुमसे मिलने की क्यों।।
अब तो हमको भी आती नहीं——————।।
एक वह दौर था जब, मिलते थे तुमसे हर दिन।
आती नहीं थी नींद, चैन नहीं था तुम्हारे बिन।।
अब तो तुमसे होकर बेखबर, सोते हैं ऐसे क्यों।
अब तो हमको भी आती नहीं—————–।।
किये थे वादें हमने तुमसे, नहीं छोड़ेंगे साथ तेरा।
अपने लहू से सजाया था, ख्वाब हमने सिर्फ तेरा।।
अब तो हमारे इन लबों पे, आता नहीं नाम तेरा क्यों।
अब तो हमको भी आती नहीं——————।।
होने लगा है शक हमको अब, तेरे दामन पर।
तू साथी नहीं हो सकती, कभी मेरी मंजिल पर।।
अब तो हमसे होती नहीं है, तारीफ तुम्हारी क्यों।
अब तो हमको भी आती नहीं——————।।
मिटती नहीं है भूख कभी,यदि दौलत पास नहीं है।
दौलत के बिना यह मोहब्बत, रिश्तें कुछ नहीं है।।
अब तो हम भी उत्सुक नहीं है, तेरे दर्शन को क्यों।
अब तो हमको भी आती नहीं——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)