अब तो तमन्ना है कि, टूटे कांच सा बिखर जाऊं।
अब तो तमन्ना है कि, टूटे कांच सा बिखर जाऊं।
उनकी मौजूदगी में तन्हा हूं, काश कि मैं मर जाऊं।
मजबूर हो जाता हूं, चेहरे की मासूमियत देखकर।
ऐ खुदा दुआ दे, मोहब्बत बनकर उनके सीने में उतर जाऊं।
अब तो तमन्ना है कि, टूटे कांच सा बिखर जाऊं।
उनकी मौजूदगी में तन्हा हूं, काश कि मैं मर जाऊं।
मजबूर हो जाता हूं, चेहरे की मासूमियत देखकर।
ऐ खुदा दुआ दे, मोहब्बत बनकर उनके सीने में उतर जाऊं।