कब तक में छुपाऊंगा तूफान मोहब्बत का
कब तक में छुपाऊंगा तूफान मोहब्बत का
रह रह के मचलता है अरमान मोहब्बत का
जब जब भी किया उसने ऐलान मोहब्बत का
हर आदमी लगता था सुल्तान मोहब्बत का
दिल, आंख, जिगर, सांसे, और खून का हर क़तरा
ले आया हूं जो कुछ था सामान मोहब्बत का
हर लम्हा खुदा की याद ये मुझको दिलाती है
किस तरह भुलाऊंगा एहसान मोहब्बत का
जो सेहरा नवर्दी में माहिर हैं जमाने में
करते हैं वही आतिफ नुकसान मोहब्बत का