*** अब डर लगता है ***
अब डर लगता है उनको लिखते ख़त
बहुत बुरी चिट्ठियों के चिट्ठों की हालत
पत्र पा सुर्ख हो जाते उनके अधराधर
एक खता हो जाती लिख उनको ख़त।।
थामलू हाथ उनका कर उनसे मुलाकात
भर लूं बाहों में उनको कर मुलाकात
मुलाकातों का दौर चलता रहे अनवरत
होती रहेगी फिर मुलाकात पे मुलाकात ।।
?मधुप बैरागी