अब जुदा होकर…
मैं तो तन्हा हूँ कभी रो भी लेता हूँ,
तुम क्या करते हो गमज़दा होकर,
वो सौगातें मुझमें अब भी सलामत हैं,
तुम क्या करते हो अब जुदा होकर???
एक बारगी देखा मैं तब से तुम्हारा हूँ,
बहुत कुछ जीत के इस दिल से हारा हूँ,
इबारत बना लेता हूँ तुमको लिखकर,
तुम क्या करते हो अब जुदा होकर???
मेरे साथ में तुम तो हर हाल हमेशा हो,
मेरी रूह मे बसे हो जिस्म में अफशा हो,
मेरी हर राह निकलती है तुमसे होकर,
तुम क्या करते हो अब किसी के होकर???
बोलो क्या करते हो अब जुदा होकर?????
©विवेक’वारिद’*