अब जब नकार चुकी हो तुम
अब जब नकार चुकी हो तुम
मेरे अस्तित्व को
और नहीं बचा है कोई कारण
मेरे लिए भी तो
तुम स्वतंत्र हो कर सजो , संवरो
आगे बढ़ो अपने नए मार्ग पर
नए साथी के साथ
मेरे पुकारने पर भी तुम नहीं लौटोगी
इसलिए आवाज नहीं लगाऊंगा इस बार
एक टीस भले रहेगा मेरे अंदर
फिर भी तुम्हें बस इतना कहूंगा
जाओ आजाद रहो और खुश भी
अपनी अपूर्ण संपूर्णता के श्रृंगार में
उपस्थित रहो सबके सामने
और स्वीकारने के लिए प्रेम की आलोचना
मैं अक्सर ही चुपचाप रहने वाला लड़का था
जिसने तुम्हारे प्रस्थान को भी स्वीकारा
और कोई तुमसे प्रेम की परिभाषा पूछे
तो कहना मेरे बारे में
तुम मेरी अपराधी नहीं हो
अब कुछ कहने को शेष नहीं
जाओ रौशनी से शरोबार रहो
और मेरे प्रेम को हो सके तो
अपने भीतर समाहित रखो
सर्वाधिकार सुरक्षित अभिषेक राजहंस