अब कैसे दूं बधाई
=====गीत====
अब कैसे दूं बधाई
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कैसे दूं मैं बधाई
बैठने को नहीं चटाई
सर्दी है बहुत भारी
घर में नहीं रजाई
ये टूटा -फूटा आंगन
लगता है जैसे खाई
बेटे के होने की
रोज मांगे फीस दाई
चेहरे पर पड़ गई है
मोटी -मोटी झाई
है बंद हर तरफ से
अब तो मेरी कमाई
सोती नहीं है आंखें
आती है बहुत झमाई (उबासी)
अब गीत कैसे गाऊं
गाऊं कैसे मै रूवाई
जिल्लत भरी जिंदगी है
है जीने में बेशर्माई
बच्चों की नजर में हारा
बीवी कहे हरजाई
छोड़कर मां अकेली
बनूं कैसे घर जमाई
बच्चे हैं वे खिलौना
ना बीवी कभी घुमाई
है दूर मुझसे मेरी
यारों मेरी परछाई
मुफलिस में यारों होता
हर रिश्ता है हरजाई
बुरे वक्त में ना किसी ने
कभी मेरी धीर बंधाई
सब आते रहे करने
लुटे घर की मेरे लुटाई
ना काम आई मेरे
मेरी कभी सच्चाई
जरूरत नहीं किसी को
रोती तन्हा तन्हाई
है भूख- प्यास घर में
नियत नहीं ललचाई
पापा यही कहते थे
काम आएगी अच्छाई
मम्मी भी यही कहती
ना छोड़ना सच्चाई
हालात अब बुरे हैं
दूं कैसे मैं बधाई
एक तरफ है कुआं मेरे
एक तरफ है गहरी खाई
है जेब फटी मेरी
कहां से दूं मैं मिठाई
कह लो जो कहना है
है वक्त बुरा भाई
छोड़ा मुझे सभी ने
रूठी रही परछाई
कोशिश तो बहुत की थीं
बदला ना वक्त भाई
कंगाल आदमी की
कब किसको याद आई
भूखी बिना चादर के
कई बार नींद सुलाई
अम्बर को देखने में
आंखें मेरी पथराई
इंसान और भगवन ने
कि खूब मेरी खिंचाई
ये ही है मेरी हालत
ये ही मेरी सच्चाई
बदली है साल लेकिन
ना बदली है सच्चाई
बोलो मैं दूं अब कैसे
सागर तुम्हें बधाई।।
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गीतकार/ बेखौफ शायर
डॉ. नरेश कुमार “सागर”
31/12/2020
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